भाजपा और कांग्रेस में टिकट को लेकर तस्वीर साफ नही, पौड़ी सीट...

भाजपा और कांग्रेस में टिकट को लेकर तस्वीर साफ नही, पौड़ी सीट पर फंसा पेंच

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लोकसभा चुनावों को लेकर राज्य में गहमागहमी ज़ोर पकड़ती जा रही हैं।  उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीटों के लिए भाजपा प्रत्याशियों का एलान 16 मार्च को हो सकता है। इस दिन दिल्ली में होने वाली पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगने की संभावना है। इस बीच पांचों सीटों के लिए मौजूदा सांसदों समेत दो दर्जन दावेदारों के नाम सामने आए हैं।राज्य में प्रथम चरण में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं और 18 मार्च से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी है। ऐसे में प्रत्याशियों के नाम का जितनी जल्दी एलान हो जाए, इसके लिए भाजपा और कांग्रेस कोसिसों में लगी है। ताकि सभी कार्यकर्ता प्रत्याशियों की जीत के लिए मैदान में मोर्चा संभाल लें। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बताया कि 16 मार्च को दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक है। इससे पहले सभी दावेदारों के नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रथम चरण में हो रहे हैं, लिहाजा प्रत्याशी जितनी जल्दी घोषित हों, उतना अच्छा है।

वहीं दोनों ही पार्टियों के लिये सभी सीटों पर उम्मीदवार तय करना मशक्कत का काम हो गया है। राज्य में लोकसभा की पांच सीटे हैं और इनमे से पारंपरिक तौर पर पौड़ी सीट हमेशा से ही हाी प्रोफाइल रही है। पौड़ी, क्षेत्रफल के लिहाज से भी प्रदेश में लोकसभा की सबसे बड़ी सीटों में शुमार है। इस सीट पर प्रत्याशियों को लेकर दोनों ही प्रमुख सियासी दलों ने भले ही अभी पत्ते न खोले हों, मगर दोनों दलों के संभावित दावेदारों ने जुगत भिड़ानी शुरू कर दी है।

मौजूदा हालात में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के बीच से चार-चार दावेदारों के नाम मुख्य रूप से उभर कर सामने आ रहे हैं।

उत्तराखंड की सियासत में पौड़ी संसदीय सीट का खासा महत्व रहा है और कई बड़ी सियासी शख्सियत इस सीट ने दी हैं। फिर इस सीट का असर अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है। शायद यही वजह है कि सियासी दल यहां फूंक फूंककर कदम रखते हैं। इस मर्तबा भी तस्वीर इससे जुदा नहीं है।

भाजापा ने पार्टी के बीच से आयु सीमा का बंधन हटाने के साथ ही सिटिंग सांसदों को तवज्जो देने की खबरें आ रही हैं। टिकट की दौड़ में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ ङ्क्षसह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पुत्र शौर्य डोभाल के नाम सामने आ रहे हैं।

इन तीनों दावेदारों के दमखम को देखें तो तीरथ सिंह रावत लंबे समय से इस सीट पर सक्रिय हैं। वह पूर्व में आरएसएस के प्रचारक और अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री रहने के साथ ही 1997 में वे उप्र विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं,  भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शौर्य डोभाल भी रेस में है और पिछले कुछ समय से सक्रिय हैं।

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की बात करें तो टिहरी लोकसभा से दो बार सांसद रह चुके हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने विस चुनाव भी नहीं लड़ा था।

कांग्रेस से पूर्व काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के साथ ही राजेंद्र भंडारी, अनुसूया प्रसाद मैखुरी व गणेश गोदियाल टिकट की दौड़ में हैं। पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। राज्य में जब भी कांग्रेस सत्ता में रही, उन्हें मंत्री बनाया गया।

पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी दो बार विधायक रह चुके हैं और पूर्व में मंत्रिमंडल में स्थान भी मिला था। पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का करीबी माना जाता है, जबकि अनुसूया प्रसाद मैखुरी कांग्रेस कार्यकाल में विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ ही बद्री-केदार मंदिर समिति के चेयरमैन का पद संभाल चुके हैं।

पौड़ी सीट से टिकट के दावेदारों में कर्नल अजय कोठियाल भी खम ठोंक रहे हैं, मगर अभी तय नहीं है कि वह भाजपा का दामन थामेंगे अथवा कांग्रेस का। अलबत्ता, दोनों ही दलों में उनके नाम को लेकर चर्चा अवश्य हैं। कुछ माह पूर्व दावेदारों का धरातल आंकने पहुंचे राजनीतिक दलों के पर्यवेक्षकों ने भी कर्नल कोठियाल के नाम को लेकर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने का प्रयास किया था। स्वयं कर्नल कोठियाल भी यह एलान कर चुके हैं कि वे चुनाव लड़ेंगे, लेकिन दल कौन सा होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।