मकान का नक्शा पास नहीं तो वोट भी नहीं, छावनी परिषद का आदेश

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देहरादून, लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है, लेकिन देहरादून के छावनी परिषद के चुनाव में वही लोग मतदान कर सकेंगे, जिनके घर का नक्शा पास होगा। जिन लोगों ने ग्राम समाज अथवा अन्य क्षेत्रों में वर्षों पूर्व अपना आवास बनवाया है और उनके घरों के नक्शे नहीं पास हैं, उन्हें मतदान से वंचित रखने का प्रयास छावनी परिषद कर रही है।
जनवरी 2020 में छावनी परिषद के सभासदों का कार्यकाल समाप्त होने को है और मतदाता सूची तैयार की जा रही हैं। इस बार मतदाता सूची में मकान का नक्शा पास होने की शर्त रखी गई है। इस शर्त के अनुसार छावनी परिषद में जुड़े नए क्षेत्रों के अधिकांश लोग मतदान नहीं कर पाएंगे, केवल वही मतदान कर पाएंगे जिनके आवास का नक्शा पास होगा।
 मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि, “जिस केहरी गांव के लिए वर्षों लड़ाई लड़ी है, उस केहरी गांव के मतदाता मतदान नहीं कर पाएंगे। वर्ष 2016 में छावनी परिषद में जुड़े प्रेमनगर के केहरी गांव के एक भी व्यक्ति के भवन का नक्शा पास नहीं है। इस गांव में तकरीबन 60 परिवार रहते हैं जो अब मतदान से वंचित हो जाएंगे।”
जिला कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता गीता बिष्ट का कहना है कि, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर छावनी प्रशासन लोगों को अपने अधिकार से वंचित रखने का काम कर रहा है। इन शर्त के अनुसार प्रेमनगर के जनरल विंग, शिवपूरी, न्यू कालोनी, स्मिथनगर, विंग नंबर 7 आदि क्षेत्रों के लोग अपने मत का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में कैंट प्रशासन की ओर से कोई ऐसा निर्णय लिया जाए। जिससे क्षेत्र का प्रत्येक व्यक्ति अपने मत का इस्तेमाल कर सके।”
इस संबंध में छावनी परिषद के सीईओ जाकिर हुसैन का कहना है कि, “यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आवासीय भवन का नक्शा पास न होने पर उसमें रहने वाला व्यक्ति अपने मत का इस्तेमाल नहीं कर सकता। हालांकि अन्य चुनाव में लोग अपने मत का प्रयोग कर सकते हैं।”