काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के विधायक का चुनाव नहीं लड़ने के बयान एक बार फिर राज्य में सियासी पारा को बढ़ा दिया है। हरक के तेवर और कांग्रेसियों के घर वापसी से भाजापा संगठन की चिंताए बढ़ने लगी है।
हरक सिंह रावत और भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक की हरिद्वार में हुई मुलाकात को लेकर भी दिन भर गहमागहमी रही। प्रदेश के काबीना मंत्री हरक सिंह रावत ने अब विधायक का चुनाव न लड़ने का राग छेड़ दिया है। डॉ हरक का कहना है कि वह यूपी से लेकर उतराखंड विधायक और मंत्री रहे हैं और अब वह अधिक इच्छुक विधान सभा चुनाव को लेकर नहीं हैं। हरक के इस बयान को लेकर राजनैतिक हलको में कई चर्चाएं तेज हो गई हैं। हरक पहले भी कई बार चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा जताते रहे हैं, लेकिन फिर चुनाव भी लड़े और मंत्री पद भी संभालने के आलावा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी रहे।
हरक ने कहा कि उत्तराखंड छोटा राज्य है और वे उत्तरप्रदेश में मंत्री की जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से लेकर यहां तक उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए यात्राएं की है। आज दिनेश शर्मा उत्तरप्रदेश में उपमुख्यमंत्री है। एक समय में मेरे साथ बैठते थे। अब विधायक का चुनाव लड़ना मेरे में मन का कोई लालसा नहीं है।
भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए यशपाल आर्य के बाद हरक सिंह रावत का नाम अब प्रमुखता से उन नेताओं में शामिल है जो कि कांग्रेस का रुख कर सकते हैं। हरक ने बीते दिनों अपनी सरकार को भी लपेटे में लिया था और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनकी तल्खियां समय समय पर सुर्खियों में रहती हैं।
भाजपा तीन विधायकों की पार्टी में इंट्री करवाकर फूले नहीं समां रही। भाजपा को आर्य के जाने का झटका लगा तो कतार में खड़े नेताओं की नब्ज टटोलने के लिए अब संगठन भी सक्रिय हो गया है। विगत दिवस दिल्ली में ऐन मौके पर रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ की कांग्रेस में इंट्री को रोकने में भी भाजपा को बड़े स्तर पर फील्डिंग लगानी पड़ी। भाजपा अब फूंक फूंककर कदम रख रही भाजपा असंतुष्टों की नब्ज टटोल रही है।