रुद्रपुर- भूमि तो अधिगृहित कर दी गयी मगर मुआवजा मिला नहीं जिसके लिे अब कास्तकार विभाग की परिक्रमा करने को मजबूर हैं। कुछ ऐसा हाल है उन किसानों का जिनकी जमीन एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई है। इस जमीन से हाईवे गुजर चुका है तो एनएचएआइ भी लेटलतीफ है। 54 में से सिर्फ 17 गांवों का ही पैसा आया है तो अन्य गांवों के किसान मुआवजे के लिए धक्के खा रहे हैं। हालांकि 230 करोड़ की डिमांड भेजी जा चुकी है लेकिन अफसरशाही ऐसी हावी है कि किसानों के दर्द से कोई लेना-देना नहीं। भला हाईवे का काम बाधित होता तो मुआवजे की फाइल भी तेजी से दौड़ती। अब क्योंकि किसानों के लहलहाते खेतों से गुजरी सड़क पर सरपट वाहन दौड़ रहे हैं तो संवेदनशीलता भी दम तोड़ रही है।एनएच-74 का चौड़ीकरण चर्चा में है। पहले मुआवजा घोटाले ने कमर तोड़ी और अब बेलगाम अफसरशाही किसानों का दम तोड़ रही है। उन किसानों का बुरा हाल है जिनकी जमीन चौड़ीकरण की जद में गई। काशीपुर से सितारगंज के बीच ऐसे 54 गांवों में से मात्र 17 का पैसा ही खाते में आया है। यानी 230 करोड़ का भुगतान अब तक हो चुका है। तीन सौ करोड़ की और आवश्यकता है। अब क्योंकि मुआवजा बंटने से रह गए गांवों से सड़क गुजर चुकी है तो अफसरों ने भी मुंह मोड़ लिया है। एनएचएआइ को 230 करोड़ की डिमांड भेजी जा चुकी है लेकिन अभी तक मुआवजा किसानों के खाते में नहीं आया है। ऐसे में किसान कभी एसएलएओ कार्यालय तो कभी एनएचएआई के चक्कर काट रहे हैं। डीएम के पास भी शिकायती पत्र देते-देते वे थक चुके हैं, लेकिन मुआवजा नहीं मिला है। वहीं नगीना से काशीपुर तक का करीब-करीब पूर्ण भुगतान हो चुका है।