देहरादून। इतिहास गवाह है कि तंत्र तब तक नहीं जागता, जब तक कोई बड़ा हादसा ना हो और दो-चार निर्दोष अपनी जान ना गंवा बैठें। यही हाल इन दिनों दून के नगर निगम का भी है। पिछले कई सालों से शहर की कई जर्जर इमारतें बदहाल हो चुकी हैं और कभी भी धराशाही हो सकती है। लेकिन निगम है कि इसका इन गिरासू भवनों का चिह्निकरण ही खत्म नहीं हो रहा। जब भी कोई शिकायत या मामला आता है अधिकारी बस वही रटा-रटाया जवाब दे देते हैं कि ऐसी इमारतों का चिह्निकरण किया जा रहा है, जल्द कार्रवाई होगी। अरे भाई, कब होगी कार्रवाई? जब तक कोई हादसा नहीं होगा। या तब तक कि जब तक दो-चार लोग मौत की नींंद नहीं सो जाते।
शहर में निगम क्षेत्र में ऐसी 50 के लगभग इमारतें या भवन है जिनके कारण आस-पास की इमारतों के लिए भी खतरा बना हुआ है। घंटाघर, राजा रोड़, आढ़त बाजार, मोती बाजार, घोसी गली, तिलक रोड, तिलक रोड, तहसील चौक व सहारनपुर चौक आदि क्षेत्रों में ऐसे भवन है जो कभी भी भरभरा कर गिर सकते है। इन इमारतों को लेकर कई बार लोगों ने शिकायतें की और मीडिया में भी काफी कुछ लिखा गया लेकिन अधिकारी हैं कि इनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती। कनाट प्लेस स्थित एलआईसी बिल्ड़िग के कुछ हिस्से तो कई बार गिर चुके है। लेकिन इस इमारत में कई परिवार अब भी रह रहे है। इसका प्रमुख कारण अदालतों में चल रहे मामलों को बताया जाता है। लेकिन अगर किसी दिन इस इमारत में कोई हादसा हुआ तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। एलआईसी बिल्डिंग के अलावा कई ऐसे भवन हैं जिनका कोर्ट केस चल रहा है। अधिकारी इसको ही इनके जर्जर होने और तोड़ने में अडचन मान रहे है। नगर निगम इस मामले में खुद को असहाय मानकर केवल सूचना पट लगाने तक ही सीमित है। लगातार नैनीताल हाईकोर्ट की फटकार के बाद ही काम करने वाले इन अधिकारियों को इस मसले पर भी अदालत के किसी आदेश का इंतजार है।