कालसी विकासखंड के ग्राम जिसऊ का ठाकरासाधार मजरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा छह से लेकर आठ तक के 82 छात्र-छात्राओं को शिक्षित करने की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर हैं, जो क्लर्क का भी कार्य देखते है, साथ ही स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षक और प्रशासनिक अभिलेखों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास।
स्थिति यहा कि शिक्षक का अधिकांश समय पढ़ाई के बजाए अन्य कार्यों में बीत जाता है जिससे 82 बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है। मामले में स्थानीय लोगों ने डीएम से इसकी शिकायत भी की है। दो साल पहले तक इस स्कूल में चार शिक्षकों का स्टॉफ कार्यरत था। इनमें से डेढ़ साल पहले तीन शिक्षकों का अन्य स्थानों पर तबादला कर दिया गया। जिसके बाद विद्यालय में सिर्फ एक प्रधानाध्यापक बच गए। प्रधानाध्यापक भी 31 मार्च 2017 को सेवानिवृत्त हो गए। जब विद्यालय में शिक्षक व अन्य स्टॉफ के नाम पर कोई न बचा तो विभाग ने प्राथमिक विद्यालय सुरेऊ से एक शिक्षक की व्यवस्था कर इस स्कूल में भेजा। चूंकि, विद्यालय में कोई लिपिक भी नहीं है तो इस शिक्षक का अधिकांश समय पढ़ाई के बजाए विद्यालयों के प्रशासनिक अभिलेखों का कार्य निपटाने में गुजर जाता है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
मामले में ग्रामीण पिछले एक साल से विभाग के अधिकारियों से लेकर निदेशक तक लिखित व मौखिक शिकायत कर चुके हैं। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने शिक्षा मंत्री को भी पत्र भेजकर इस स्कूल में जरुरत के मुताबिक स्टॉफ की तैनाती करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विद्यायल प्रबंध समिति के पूर्व अध्यक्ष तुलसीराम शर्मा ने बताया कि स्कूल में फिलहाल 82 बच्चों के दाखिले हैं। शिक्षक न होने के कारण उनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस मामले में कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन, अब तक यहां पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अगर हालात यही रहें तो ग्रामीणों को मजबूरन सड़क पर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।