संस्कृत को रोजगारपरक बनाया जाएगा। इसी के तहत सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में केवल संस्कृत जानने वाले को ही योग शिक्षक बनाया जाएगा। प्रदेश के प्रवेश द्वारों, सभी विभागों में नाम पट्टी भी हिंदी के साथ संस्कृत में भी होंगीं। कक्षा एक से आठ तक अब सभी स्कूलों में संस्कृत अनिवार्य होगी। शिक्षा मंत्री ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी।
आपको बतादें कि इससे पहले उत्तराखंड में राज्य विधानसभा का बोर्ड अब संस्कृत भाषा में बदल दिया गया है।उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बनने के बाद 8 जून को शुरु हुए राज्य विधान सभा सत्र के पहले दिन देहरादून स्थित विधान भवन पहुंचे विधायकों और अन्य लोगों को उस समय झटका लगा जब विधानसभा के ऊपर लगा हुआ बोर्ड नया मिला। इस नए बोर्ड पर हिंदी के साथ साथ संस्कृत भाषा में उत्तराखंड विधानसभा लिखा था।
इसके अलावा मुख्यमंत्री रावत ने कहा था कि हमें अपनी संस्कृति तथा सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास करने होगे, नई पीढ़ी का रूझान भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की ओर ले जाना होगा, इसके लिए भारतीय शिक्षक मण्डल का महत्वपूर्ण योगदान होगा। सीएम ने कहा कि हमें भारतीय परम्पराओं को आगे बढ़ाना होगा अौर उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करने होंगे।
वहीं इसपर कांग्रेस को प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि “सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने की बात करती है लेकिन कितने मंत्री अपने बच्चों को संस्कृत पढाऐंगें।अगर सरकार सच में कुछ बदलाव चाहती है तो पहले अपने घरों से करें,अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों से निकालें फिर इसपर कुछ बात हो सकती है।सरकार दूसरे के बच्चों के लिए संस्कृत और अपने बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम।