नई दिल्ली, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि वर्ष 2022 तक गंगा में गंदे नालों का गिरना पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। शुक्रवार को जल समाधान के नए तरीकों पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी को संबोधित करते हुए शेखावत ने कहा कि उत्तराखंड और झारखंड में गंगा में गंदे नालों का गिरना पूरी तरह रोक दिया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दिसम्बर तक गंगा को पूरी तरह से धार्मिक अनुष्ठानों के अनुकूल बना दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि देश साफ पीने के पानी की कमी और 25 लीटर पानी नहाने में व्यर्थ करने के चलन की दोहरी समस्या से एक साथ नहीं निपट सकता। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति और बड़ी कंपनियों को मिलकर प्रयास करने होंगे। शेखावत ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों में पानी के इस्तेमाल तथा ऐसी इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित जल और अन्य रसायनों को नदियों में छोड़े जाने के मामलों पर प्रभावी नीति तय करने के बारे में वे उद्योगों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
शेखावत ने उद्योग संगठन (एसोचैम) से यह पता लगाने के लिए कहा कि सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत बड़ी कंपनियां पानी से जुड़े मुद्दों पर कितना धन खर्च कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी है यह राशि महज तीन प्रतिशत है। शेखावत ने कहा कि भारत में दुनिया की कुल आबादी का 18 प्रतिशत तथा इतनी ही संख्या में पशुधन मौजूद होने के बावजूद वैश्विक अनुपात के हिसाब से पानी के मामले में हमारी हिस्सेदारी चार प्रतिशत से भी कम है और उसका भी बड़ा हिस्सा प्रदूषित है। उन्होंने कहा कि हम सभी को यह आत्म निरीक्षण करना चाहिए कि आखिर जल प्रदूषण के मामले में भारत दुनिया में 122वें स्थान पर क्यों है?