उत्तराखंड: परिवहन निगम को 23 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश

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    उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों को पांच महीने से वेतन नहीं दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार से उत्तराखंड परिवहन निगम को 23 करोड़ रुपये शीघ्र अवमुक्त करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि रोडवेज कर्मचारी महामारी से नुकसान के  जिम्मेदार नहीं हैं।
    हाई कोर्ट ने कहा कि काम के बदले वेतन लेना उनका मूलभूत अधिकार है। सरकार यह अधिकार उनसे नहीं छीन सकती। इसलिए आगे के वेतन के लिए परिवहन निगम के एमडी को रिवाइवल का पूरा प्लान बनाकर परिवहन सचिव को भेजा जाए।  कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह रिवाइवल प्लान 15 जुलाई तक संभावित कैबिनेट बैठक में चर्चा के लिए रखा जाए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तिथि नियत की। कोर्ट ने 19 जुलाई तक इसकी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है।
    मंगलवार को हुई सुनवाई में  प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा और एमडी रोडवेज अभिषेक रुहेला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश से पूछा कि उनके सुझाव पर कैबिनेट ने क्या निर्णय लिया, जिस पर मुख्य सचिव ने बताया  कि अभी कैबिनेट की मीटिंग 25 जून को हुई थी। कैबिनेट मीटिंग दो सप्ताह में एक बार होती है। अगली बैठक में प्रकरण को कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा। कोर्ट ने वित्त सचिव अमित नेगी से पूछा कि कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। ऊपर से पेट्रोल और डीजल का दाम बढ़ गए हैं और निगम के पास बसों के संचालन  के लिए धन  नहीं, ऐसे में  निगम कैसे चलेगा।
    ट्रांसपोर्ट सचिव से कोर्ट ने कहा कि आधा-अधूरा प्रपोजल क्यों लाया जाता है, जबकि मुख्य सचिव, परिवहन सचिव और एमडी तीनों वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप एक चाय के बहाने ही सही मिलकर इसका ठोस प्रपोजल क्यों नहीं बनाते। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि उचित निष्कर्ष तक पहुंचने के बजाय मामले को एक- दूसरे के पाले में डाल दिया जाता है, जिससे  समस्या और अधिक बढ़ गयी है।
    हाई कोर्ट ने कहा कि 1 जुलाई को वेतन न दिए हुए एक माह और बढ़ जाएगा।   कोर्ट ने सरकार से कहा कि राज्य बनने पर जो संपत्तियों का बंटवारा हुआ था वह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है उस मामले में क्या हुआ है?  अगली तिथि पर बताएं।
    रोडवेज कर्मचारियों का पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता एमसी पंत ने कोर्ट को बताया कि एमडी ओर से रखे गए प्लान में भविष्य के वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी और ईएसआई का जिक्र नहीं है। ईएसआई और पीएफ जमा न होने से कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा के साथ ही उनकी स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा में भी समस्या आ रही है। इसके अलावा यूपी से परिसंपत्ति के बंटवारे से मिलनी वाली राशि को लेकर भी निगम के एमडी की ओर से कुछ नहीं बताया गया है, जिस पर कोर्ट ने परिवहन निगम एमडी को नए सिरे से निगम के रिवाइवल प्लान में सभी बिंदुओं को शामिल करने को कहा।