देहरादून, उत्तराखंड में संगठनात्मक मजबूती की कसौटी पर यदि भाजपा और कांग्रेस की तुलना की जाए तो जवाब देना किसी के लिए भी बहुत आसान होगा। भाजपा का संगठन कांग्रेस के मुकाबले कहीं आगे है। पंचायत चुनाव के निर्णायक दौर की तैयारियों को ही देखे तो कांग्रेस की स्थिति भाजपा से कदम-कदम पर मात खाती दिख रही है। कांग्रेस अभीतक एक भी जिले में अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। इसके विपरीत, भाजपा ने तीन जिलों को छोड़कर बाकी सभी जगह अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के समीकरणों के लिहाज से सात जिलों में भाजपा कठिन स्थिति से गुजर रही है। यहां पर निर्दलियों की संख्या ज्यादा है। पांच जिलों में भाजपा की स्थिति अच्छी है। इसे देखते हुए भाजपा ने निर्दलियों को न सिर्फ अपने पाले में खींचने के लिए दम लगा दिया है, बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा होने से पहले ही प्रत्याशियों के नाम का एलान कर उन्हें भी मैदान में झोंक दिया है। दूसरी स्थिति कांग्रेस की है, जो कदम-कदम पर अपनी कमजोर संगठनात्मक स्थिति का शिकार हो रही है। कांग्रेस को काफी लंबा समय इस बात की जानकारी में लग गया कि उसके कुल कितने जिला पंचायत सदस्य जीतकर आए हैं। अब वह डेढ़ सौ सदस्य अपने होने का दावा कर रही है। कांग्रेस के इस दावे की परीक्षा जल्द होने जा रही है। हालांकि भाजपा का कहना है कि सभी जगह उसके अध्यक्ष जीतकर आएंगे।
मुन्ना-प्रीतम की अदावत के बीच दून की जंग
देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी सियासी दलों के लिए सबसे प्रतिष्ठित मानी जा रही है। इस सीट के लिए भाजपा ने पूर्व विधायक और तेजतर्रार नेता मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान को टिकट दिया है। मधु पहले भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं, जबकि कांग्रेस का प्रत्याशी अभी घोषित होना बाकी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के भाई चमन सिंह अभीतक जिला पंचायत अध्यक्ष थे। इसके अलावा, जौनसार भाबर के दोनों दिग्गजों मुन्ना सिंह चौहान और प्रीतम सिंह की सियासी अदावत बहुत पुरानी है। दोनों कई बार विधानसभा चुनाव में आमने-सामने रहे हैं। अब दोनों पर्दे के पीछे से चुनाव मैदान में कूदे हैं।