तो अगली बार आप किसी पहाड़ी शादी में जायें तो ये बहुत मुमकिन है कि दुल्हन के लिये मंगल गीत कोई पंजाबी या बॉलीवुड फिल्म की जगह पहाड़ी गाना माँगल होगा। इस गीत को उत्तराखंड के मशहूर पांडवाज ने बनाया है और रिलीज होने के साथ ही ये खासा मशहूर हो रहा है।
दरअसल ये गीत उत्तराखंड में शुभ अवसरों पर गाये जाने वाले छह गानों का समन्वय है। ये वो गाने हैं जो खासतौर पर गढ़वाल में शुभ अवसरों पर दशकों से गाये जाते रहे हैं, पर समय के साथ-साथ इन्हे पंजाबी और बॉलीवुड के गानों ने कुछ दरकिनार कर दिया था। 25 मिनट के इस पूरे सूत्र में पांडवाज ने इस धुंधली पड़ती पहाड़ी विरासत को कुछ नई धुनों से सजाकर एक नया ट्विस्ट देने की कोशिश की है।
पांडवाज के कुनाल डोभाल कहते हैं कि, “हमें त्रिगुजीनारायण में होने वाली एक शादी के लिये एक गीत बनाने के लिये कहा गया था। हमने इसके लिये पारंपरिक पहाड़ी गीतों को कुछ नया अंदाज देने की कोशिश करी और उसी का नतीजा है ये गीतों की माला।”
इस गीत में गीतों की धुनें पहाड़ी हैं औऱ उनके साथ सितार, वायलिन और शहनाई की मिठास पारंपरिक और मॉर्डन शैली को जोड़ने का काम करती है। मांगल गीत सुनने में जितना मनमोहक लगता है इसके बनाने के पीछे उतनी ही मेहनत लगी है। गीत के बोलों के सही उच्चारण आदि के लिये दिल्ली और हरियाणा से आये गायकों ने श्रीनगर, गढ़वाल में वर्कशॉप में हिस्सा लिया। माँगल को आठ युवा गायिकाओं ने गाया है। इनमे से कुछ उत्तराखंड के नहीं हैं लेकिन कहते हैं न कि संगीत की कोई भाषा नहीं होताी। इन गायिकाओं में अनामिका वशिष्ठ, अंजलि खरे, अवंतिका नेगी, एकता नेगी, रुचिका कंडारी, शलीली बहुगुणा, शिवानी भागवत, सुनिधी वशिष्ठ, सुषमा नौटियाल शामिल है। इनके अलावा अमन धने, दीपक नैथानी और इशान डोभाल ने भी माँगल में अपनी आवाज़ दी है। इस गीत के सभी छ: भाग शादी के अलग-अलग रस्म जैसे कि हल्दी हाथ, फेरे, विदाई आदि के लिये गाये गये हैं।
आज माँगल गीत सभी डिजिटल प्लेटफऑर्म जैसे की यू ट्यूब, आई ट्यूनस, गाना आदि पर रिलीज किया गया, इसके पीछे मकसद है इस नायाब पेशकश को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना।
डिजिटल रिलीज के बारे में कुनाल कहते हैं कि, “इस बार बात नफे और नुकसान की जगह परंपराओं के प्रति अपने प्यार औऱ उन्हें जीवित रखने की है और सभी लोगों तक पहुंचाने की है।
प्रस्तुत है पांडवाज की नयी एल्बम “मांगल”