चमोली आपदा पर किए गए शोध को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

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पिछले वर्ष चमोली जिले में आई आपदा पर किया गया एक शोध ‘ए मैसिव रॉक एंड आइस एवलांच कॉज्ड द 2021 डिजास्टर एट चमोली, इंडियन हिमालय’ विख्यात जर्नल ‘साइंस’ में प्रकाशित हुआ है, और इसे ‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ जियोेग्रैफर्स’ के ‘जियोमोरफोलॉजी स्पेशलिटी ग्रुप’ की ओर से विश्वप्रसिद्ध ‘2022 ग्रोव कार्ल गिल्बर्ट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है।

इस शोध का हिस्सा रहीं नैनीताल निवासी पत्रकार और जल नीति विशेषज्ञ कविता उपाध्याय ने बताया कि इस घटना से चिंतित अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, कनाडा और कई अन्य देशों के कुल 53 वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने चमोली में आई बाढ़ और उससे हुई क्षतियों पर स्वैच्छिक तौर पर यह शोध किया।

इन विशेषज्ञों में हाइड्रोलॉजिस्ट यानी जल वैज्ञानिक, ग्लेशियोलॉजिस्ट यानी ग्लेशियर वैज्ञानिक, मौसम विशेषज्ञ, आपदा विशेषज्ञ एवं जल नीति शोधकर्ता आदि शामिल रहे। उत्तराखंड के देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान भी इस शोध में हिस्सेदार था। उल्लेखनीय है कि कविता ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से जल विज्ञान एवं जल नीति में एमएससी कर चुकी हैं, और वर्तमान में हिमालय के पर्यावरणीय विषयों पर शोध एवं स्वतंत्र पत्रकारिता करती हैं।

उन्होंने कहा, यह शोध इस मायने में भिन्न है कि इसमें हिमालयी क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं की मौजूदगी पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है, जब कि अधिकांश वैज्ञानिक शोधपत्र इस तरह के विवाद में पड़ने से बचने की कोशिश करते हैं।