टिहरी में मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा दर-दर

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जिला अस्पताल (डीएच) बौराड़ी को पूरी तरह से कोरोना आइसोलेशन में बदले जाने से आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एडिशनल पीएचसी में सुविधायें न होने से आम लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। अब डिलीवरी केस भी जिला अस्पताल के बजाय चंबा में देखें जायेंगे। डिलीवरी केसों से सम्बंधित महिलाओं के अल्ट्रा साउंड मसीहा अस्पताल चंबा में कराने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग ने की है।
– डीएच बौराड़ी कोरोना आइेसोलेशन में तब्दील, आम मरीजों के लिए किया बंद
– मरीजों को नहीं जानकारी कहां जायें इलाज को, एपीएचसी में नहीं हैं सुविधायें 
गुरुवार को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आम लोगों को जानकारी के अभाव में डीएच से एडिशनल पीएसी व एडिशनल पीएचसी से डीएच बौराड़ी के चक्कर लगाते हुए देखा गया। डीएच से मरीजों को इलाज के लिए एडिशनल पीएसी भेजा गया लेकिन इलाज की सुविधायें ने मिलते देख मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी। मरीजों ने जब हंगामा काटा तो स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में एडिशनल पीएसी में डाक्टरों को रोटेशनल काल पर बुलाने की व्यवस्था करने के साथ ही अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधायें जुटाने में लग गया। स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही पर आक्रोश जाहिर किया।
केस-1
नई टिहरी में निवास करने वाली 65 वर्षीय सीता गिरने के कारण चोटिल हो गई। इसके कारण उसे एडिशनल पीएसी लाया गया। जहां से फिर उन्हें डीएच बौराड़ी इलाज के लिए भेजा गया।
केस-2
गर्भवती तारा देवी दूरस्थ गांव से इलाज के लिए डीएच बौराड़ी पहुंची। वहां से उसे एडिशनल पीएसी दौड़ाया गया। सुविधा न मिलने पर उन्हें फिर डीएच बौराड़ी भेजकर अल्ट्रासाउंड करवाया गया।
केस-3
भंडार गांव से आये 13 वर्षीय आरूष के हाथ में फ्रैक्चर हो गया। वह इलाज को एडिशनल पीएचसी पहुंचा। सुविधा न होने पर वहां से बौराड़ी डीएच में भेजा गया। जहां पर प्राथमिक उपचार किया गया।
क्या कहती हैं सीएमओ
सीएमओ डा. मीनू रावत का कहना है कि एडिशनल पीएचसी में डाक्टरों की तैनाती के लिए रोस्टर तैयार किया जा रहा है। ऑन काल भी डाक्टर उपलब्ध होंगे। मरीजों के लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधायें जुटाने का काम भी पीएचसी में शुरू कर दिया गया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
कांग्रेस के प्रदेश सचिव कुलदीप पंवार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण किसी को पता ही नहीं है कि रूटीन व इमरजेंसी के मरीज इलाज के लिए कहां जायें। गांव के मरीज को लेकर जब वे एडिशनल पीएचसी पहुंचे तो, वहां से डीएच बौराड़ी दौड़ा दिया गया। डाक्टरों व सुविधाओं के अभावों के साथ ही जानकारी न होने से लोग इलाज को दर-दर भटकने को मजबूर हैं।