मनीष जोशी वो नाम है जिसने छोटी सी उम्र में बहुत से रिकार्ड अपने नाम कर लिए हैं। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के एक छोटे से गाव से संबंध रखने वाले मनीष ने ना केवल अपना नाम बल्कि अपने क्षेत्र का नाम भी रौशन किया है।
दून स्कूल में पढ़ने वाले मनीष जब मात्र 14 साल के थे तो इन्होंने एक एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जिसमें दो लोगों के साथ एक पायलट के बैठने की जगह थी। इस शानदार निर्माण के लिए मनीष का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में आ गया और इस खोज के बाद मनीष ने अपनी जिंदगी में कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। एडवेंचर के क्षेत्र में हमेशा नए-नए चीजें करना मनीष का पहला पैशन था। स्पोर्टस बैकग्राउंड होने की वजह से खेल-कूद और एडवेंचर स्पोर्टस में हमेशा सबसे आगे रहने वाले मनीष ने इसको ही अपना कैरियर बना लिया और इसको ही जीने लगे। मनीष को अपने परिवार का साथ और प्यार मिला जिससे वह आगे बढ़ते रहे।
आए दिन नई सोच और नई खोज के साथ मनीष ने अपने गांव की भी तस्वीर बदलने का मन बनाया। लगभग 2 साल पहले अपनी इस सोच को आकार भी दिया। मनीष ने अपने गांव में एक विलेज एडवेंचर कैंप शुरु किया। नाम रखा ‘गरुड़ा एडवेंचर कैंप’। गरुड़ चिड़िया मनीष के कैंप का खास आकर्षण है।
अगर मनीष के परिवार की बात करें तो उनके पिता मोहन जोशी को गढ़वाल का पहला उद्योगपति कहा जाता हैं क्योंकि सन् 1970 में अपनी बीएचईएल की नौकरी छोड़ कर वह अपने गांव वापस आ गए। उस वक्त शायद ही कोई टरपेनटाईन तेल को जानता हो। तब उन्होंने तारपीन के तेल की फैक्ट्री शुरु की। इस हिसाब से देखा जाए तो मनीष की प्रेरणा उनके पिता जी ही थे। मनीष कहते हैं “शायद रिस्क लेना हमारे परिवार के खून में ही था पहले पिता जी ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ी और मैंने खुद एडवेंचर करने के लिए अपनी जिंदगी पहाड़ में ही निकाल दी।”
विलेज एडवेंचर कैंपः
2 साल पहले मनीष ने पौड़ी से लगभग 20 किमी दूर अपना विलेज एडवेंचर कैंप शुरु किया जिसमें वह आने वाले टूरिस्ट को बहुत से नए अनुभव कराते हैं। इनमे कैंपिंग, विलेज एडवेंचर, बर्ड वाचिंग, एनिमल स्पाटिंग, पैराग्लाइडिंग, और काफी कुछ शामिल है। मनीष का मानना है कि “अंग्रजों के जाने के बाद उत्तराखंड में किसी भी नए हिल स्टेशन का नाम शायद ही सामने आया होगा, लेकिन यह जगह हिल स्टेशन के लिहाज से बेहद खूबसबरत है। उत्तराखंड के टूरिज्म डिर्पाटमेंट से कोई मदद ना मिलने की वजह से यह जगह अभी भी पर्यटकों के लिये दूर है।”
यह कैंप, दिल्ली से 7 घंटे दूर है और एक तरफ पौड़ी की खूबसूरती दूसरी तरफ लैंसडाउन की शांति के बीचों बीच है। इन दोनों जगहों के बीच बसा यह कैंप लोगों के लिए एक शांत और सुंदर माहौल देता है। मनीष का गरुणा एडवेंचर कैंप अपने यहां आने वाले पर्यटकों को ना केवल रोमाचक यादें देता हैं बल्कि आने वाले लोग यहां से नए रिश्ते भी लेकर जाते हैं।आसपास के गांव के लोगों ने भी इस कैंप में अलग अलग एक्टिविटी करके अपने लिये आमदनी का जरिया ढू़ढ लिया है। इनमे स्टोरी टेलिग, आर्ट एंड क्राफ्ट, ट्रेडिशनल म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना आदि शामिल है।
तो अगर आप भी शहरों के शोर शराबे से दूर खूबसूरत और शांत हिमालय के रंगों से भरपूर जगह पर जाने का पॅोग्राम बना रहे हैं तो यह जगह आपको पसंद आएगी।