उत्तराखंड: घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिए खुला केदारनाथ पैदल मार्ग

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देव स्थानम
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केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग 31 जुलाई को अतिवृष्टि के बाद बंद हो गया था। अब इस पैदल मार्ग को घोड़े-खच्चरों के लिए खोल दिया गया है। केदारनाथ पैदल मार्ग को जिला प्रशासन व मजदूरों की कड़ी मेहनत के बाद दुरुस्त कर लिया गया गया है, जिससे घोड़े-खच्चर केदारनाथ पहुंचना शुरू हो गए हैं। यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के साथ ही घोड़े-खच्चरों से राशन और अन्य अनिवार्य सामग्री की आपूर्ति भी शुरू हो गई है।

31 जुलाई की रात केदारनाथ घाटी में आई आपदा के कारण यात्रा मार्ग जगह-जगह ध्वस्त हो गया था। इसके बाद जगह-जगह फंसे तीर्थ यात्राओं को सुरक्षित निकाला गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी और जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के नेतृत्व में चले रेस्क्यू अभियान में हजारों श्रद्धालुओं और स्थानीय जनता को हेली सेवा के साथ पैदल आवाजाही से उनकी जान को बचाया गया। इसके बाद प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग को तेजी के साथ दुरुस्त करने की चुनौती थी। इस चुनौती को भी जिला प्रशासन ने पार पा लिया जिसके बाद मार्ग को घोड़ा-खच्चर संचालन के लिए भी दुरुस्त कर लिया गया है। पैदल मार्ग घोड़े-खच्चरों के लिए 26 दिनों के भीतर ही खुलने के बाद घोड़े खच्चर केदारनाथ पहुंचना शुरू हो गए हैं।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि आपदा से 19 किलोमीटर पैदल मार्ग 29 जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। जिलाधिकारी के निर्देशन और निगरानी में तेजी से काम होने के चलते पैदल मार्ग के खुलने के बाद घोड़े-खच्चरों की आवाजाही भी शुरू हो गई है। जिला प्रशासन का प्रयास है कि जल्द से जल्द पैदल मार्ग को और अधिक दुरुस्त किया जाए, जिससे ज्यादा संख्या में भक्त बाबा केदारनाथ के धाम पहुंच सके। पैदल मार्ग पर सैकड़ों की संख्या में लोनिवि गुप्तकाशी के मजदूर मार्ग का ट्रीटमेंट करने में लगे हुए हैं। इसके अलावा सोनप्रयाग-गौरीकुण्ड राजमार्ग को भी दुरुस्त करने का काम तेजी से चल रहा है। यहां भी जल्द ही वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। एनएच विभाग की मशीने और मजदूर रात दिन राजमार्ग को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं।