हरिद्वार, हरिद्वार अपने आध्यात्मिक महत्व के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के लिए भी जाना जाता है। यहां देश और विदेश की कई प्रतिष्टित कंपनियां स्थापित हैं। आध्यात्मिक और औद्योगिक उन्नति तो ठीक है पर हरिद्वार की आबोहवा में घुलता प्रदूषण का जहर सभी नागरिकों के लिए समस्या का सबब बन गया है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रो. पीसी जोशी ने तीर्थनगरी के पर्यावरण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि, “औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में स्थित फैक्ट्रियों से प्रदूषण न बराबर होता है। बल्कि यहां आने वाले वाहनों की वजह से हरिद्वार में प्रदूषण ज्यादा फैल रहा है। हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते है। इससे यहां वाहनों को दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, जो प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। “
इसके अलावा जंगलों को जो बेतहाशा काटा जा रहा है, वे भी पर्यावरण के लिहाज से सही नहीं है। पीसी जोशी के मुताबिक उनके अध्यन में सामने आया है कि, “हरिद्वार में बीते 10-15 सालों में वायु प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हरिद्वार की आबोहवा को साफ रखने के लिए शहर में वाहनों को संख्या सीमित करनी पड़ेगी। इसके लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। पर्व और त्योहारों के समय हरिद्वार में आने वालों वाहनों को शहर को बाहर ही रोका जाए। इसके अलावा पर्यावरण के प्रति को लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा।”