हरिद्वार, हरिद्वार में बसंत पंचमी का पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। इस पर्व पर जहां ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन-अर्चन किया गया वहीं यज्ञोपवती संस्कार भी हुए। लोगों ने हरकी पैड़ी सहित विभिन्न घाटों पर गंगा में डुबकी लगा पुण्य अर्जित किया।
ऋतुराज बसंत पर्व पर धर्मनगरी हरिद्वार में अनुपम छटा देखने को मिली। जहां वि़ालयों में मां सरस्वती का पूजन-अर्चन किया गया तो वहीं पीतवस्त्र धारण कर कई स्थानों पर यज्ञोपवीत संस्कार भी आयोजित किए गए। लोगों ने अपने-अपने तरीके से ऋतुराज का स्वागत किया। और वांती उल्लास का आनन्द उठाा। इस पर्व पर लोगों ने गंगा में डुबकी भरी लगाई। गंगा स्नान के लिए सुबह से ही लोगों का गंगा के विभिन्न घाटों पर स्नान के लिए उमड़ना आरम्भ हो गया था। सुबह से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला अनवरत चलता रहा। इस अवसर पर सभी संस्कृति विद्यालयों, महाविद्यालयों में सरस्वती पूजन के विशेष आयोजन हुए। आश्रमों में भी सरस्वती पूजन श्रद्धा के साथ किया गया। ऋषि संस्कृत महाविद्यालय निर्धन निकेतन खड़खड़ी, ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रह्माचर्याश्रम, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मायापुर, रामानुजाचार्य वैदिक संस्कृत महाविद्यालय में वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन किया गया।
ज्योतिषाचार्य शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है। जिसके चलते इस दिन को नए कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम दिन माना जाता है। यही कारण है कि बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म के अनुसार कामदेव को काम और प्रेम का देवता माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, वाहन खरीदने, व्यापार शुरू करने जैसे नए काम की शुरुआत करना बहुत ही शुभ होता है।