पिथौरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस की स्थिति नहीं हो पा रही है साफ

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उत्तराखंड

देहरादून, थराली की तरह ही पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव को भी कांग्रेस पूरी दमदारी से लड़ने की तैयारी में है लेकिन प्रत्याशी को लेकर उसकी दिक्कत खत्म नहीं हो रही है। इस सीट पर कांग्रेस की सबसे मजबूत चुनौती का आधार पूर्व विधायक मयूख महर है, लेकिन वह फिलहाल चुनाव न लड़ने पर अडे़ हुए हैं। इन स्थितियों के बीच पार्टी नेतृत्व उनकी मान मनौव्व्वल में जुटा हुआ है। मयूख नहीं मानते तो फिर पार्टी पूर्व सांसद महेंद्र सिंह माहरा को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। हालांकि माहरा चुनाव लड़ने के कितने इच्छुक हैं, यह साफ होना भी बाकी है।

पिथौरागढ़ उपचुनाव में भाजपा ने भी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन वहां एक बात तय हो गई है। दिवंगत कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके भाई भूपेश या फिर पत्नी चंद्रा पंत को पार्टी टिकट देगी। इसमें भी जिस तरह के संकेत उभर रहे हैं, उसमें उनके भाई भूपेश के चुनाव लड़ने की ज्यादा स्थिति बन रही है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह पिथौरागढ़ विधानसभा सीट के मिजाज को अच्छी तरह से समझने वाले मयूख महर को प्रत्याशी बनाना चाहती है लेकिन वह लगभग ढाई वर्ष के लिए चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार नहीं है। उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल अब लगभग ढाई वर्ष का ही शेष रह गया है।

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार उपचुनाव में मयूख पार्टी की पहली पसंद है। अगर बात नहीं बनती तो फिर पूर्व सांसद महेंद्र सिंह माहरा पर दांव खेला जा सकता है। माहरा से बातचीत का प्रारंभिक दौर शुरू भी हो गया है। दरअसल, मयूूख हो या फिर माहरा, दोनों ही कांग्रेस में दिग्गज नेता हरीश रावत के करीबी हैं। इस सच्चाई से प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह वाकिफ हैं। इसके बावजूद इस उपचुनाव में सत्तासीन भाजपा को मजबूत टक्कर देने का दबाव प्रीतम सिंह पर लगातार बना हुआ है। यह दबाव ही प्रीतम कोे हरीश रावत कैंप के दिग्गज नेताओं के मान मनौव्वल को प्रेरित कर रहा है। इससे पहले, 2018 में थराली उपचुनाव में भले ही कांग्रेस हार गई थी, लेकिन उसने भाजपा को मजबूत टक्कर दी थी। पिथौरागढ़ उपचुनाव की जंग को कांग्रेस अपने खोए मनोबल को फिर से पाने का एक अवसर मान रही है। हालांकि वह कितनी मजबूती से चुनाव लडे़गी, यह देखने वाली बात होगी।