नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म को देखें और ये फैसला करें कि क्या फिल्म पर बैन लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो 22 अप्रैल तक सीलबंद लिफाफे में इसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें।
सुनवाई के दौरान फिल्म के निर्माता ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने फिल्म को देखे बिना ही इसकी रिलीज पर रोक लगा दी है। तब सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को फिल्म देखने का निर्देश दिया।
इस फिल्म की रिलीज पर रोक के खिलाफ फिल्म के निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलने के बावजूद फिल्म पर निर्वाचन आयोग ने रोक लगा रखी है।
नौ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म को रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड ने अब तक सर्टिफिकेट नहीं दिया। फ़िल्म देखना उसका काम है। अगर फ़िल्म से चुनाव के आयोजन में कोई दिक्कत है, तो ये देखना चुनाव आयोग का काम है। हालांकि फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने नौ अप्रैल को ही फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया लेकिन उसके बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव तक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। निर्वाचन आयोग के इसी फैसले के खिलाफ फिल्म के निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
दो अप्रैल को बांबे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी थी। पहली अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
इस फिल्म का निर्देशन उमंग कुमार ने किया है। फिल्म में अभिनेता विवेक ओबेराय मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म में बोमन ईरानी, मनोज जोशी, जरीना वहाब और प्रशांत नारायणन अहम किरदार अदा कर रहे हैं।