पीएनबी घोटाला : देशभर में छापेमारी, नीरव गया विदेश

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बख्शे नहीं जाएंगे गड़बड़ी के आरोपी,बैंक के पास स्थिति से उबरने की क्षमता और योग्यता : सुनील मेहता,एमडी, पीएनबी

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से जुड़े सवा 11 हजार करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद गुरुवार को बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता ने कहा कि बैंक के पास पूरी स्थिति से उबरने की क्षमता और योग्यता है| मामले मे किसी को बक्शा नहीं जाएगा। हालांकि नीरव मोदी 1 जनवरी देश छोड़कर चला गया। उधर, गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने देशभर में हीरा कारोबारी नीरव मोदी के घर और दफ्तरों समेत नौ स्थानों पर छापेमारी की। मुंबई, सूरत और दिल्ली में की गई छापेमारी में कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं। सीबीआई को मामले की जानकारी 29 जनवरी को मिल गई थी| उसने 31 जनवरी केस दर्ज कर लुक आउट नोटिस जारी किया था। उधर, केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीरव मोदी की 1300 करोड़ रुपए की संपत्ति सीज कर ली गई है| कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सफाई मांगी है|
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने गुरुवार को विश्वास व्यक्त किया कि 11 हजार करोड़ के इस घोटाले के दोषियों को कानून के कठघरे में लाया जाएगा तथा बैंक की धनराशि वसूल की जाएगी। दिल्ली में आनन-फानन में आयोजित प्रेस वार्ता में बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी (एमडी) अधिकारी सुनील मेहता कहा कि मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा। पंजाब नेशनल बैंक के एमडी बताया कि मामला केवल बैंक की एक शाखा से ही जुड़ा हुआ है। इस तरह के फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद बैंक की अन्य शाखाओं में भी जांच कराई गई, जहां ऐसा कोई गड़बड़ी नहीं मिली है।उल्लेखनीय है कि पंजाब नेशनल बैंक की दक्षिण मुंबई स्थित ब्राडी हाउस कोर्पोरेट ब्रांच में अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी का खाता है। वर्ल्‍डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्‍युनिकेशन (स्विफ्ट) के जरिए लाखों डॉलर की रकम अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भेजी जाती है। बैंक के कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर इसके माध्यम से नीरव मोदी समूह की कुछ कंपनियों की तरफ से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किया। इस एलओयू का मतलब होता है कि बैंक एक अवधि में नीरव की ओर से देनदारी चुकाएगा।
पंजाब नेशनल बैंक के एमडी ने बताया कि इस पूरे मामले की शुरुआत 2011 में हुई थी। जैसे ही इस घोटाले की उन्हें जानकारी मिली उन्होंने जांच एजेंसियों को इस बारे में अवगत कराया। 3 जनवरी को उन्हें पता चला कि उनके बैंक के 2 अधिकारी इस तरह का लेन-देन करा रहे हैं। उन्हें 25 जनवरी को मामले में समझौता करने के लिए मेल भी प्राप्त हुआ। बैंक ने मेल के जबाव में मामले की पूरी जानकारी विस्तार से मांगी। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय दैनिक आधार पर मामले पर नजर रखे हुए है। मामला बेहद संवेदनशील है और दोषियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम अपने स्टॉफ के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और किसी भी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे।
घोटाले की राशि की बरामदगी से जुड़े प्रश्न के उत्तर में श्री मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जब्ती की कार्रवाई कर रहा है और उन्हें लगता है कि राशि का अधिकतम हिस्सा वसूल हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अभी कोई पैसा नहीं दिया गया है| केवल बैंक पर एक देनदारी है। जांच होने के बाद अगर देनदारी बनी तो उसे चुकाया जाएगा।
क्या है घोटाला
घोटाला मूल रूप से पीएनबी की ओर से फर्जी तरीके से ‘लेटर ऑफ अंडर टेकिंग’ जारी कराने का है। यह ‘लेटर ऑफ अंडर टेकिंग’ बैंक क्रेडिट संबंधी दस्तावेज है जिसके जरिए अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा विदेश में पीएनबी के खाताधारक को ऋण देती है। इस ऋण से पीएनबी का खाताधारक अपने कारोबार से जुड़े सामान का विदेश में भुगतान कर उसे देश लेकर आता है।
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग को दूसरे बैंक को जारी करने के लिए पीएनबी के दो कर्मजारियों ने वर्ल्‍डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्‍युनिकेशन (स्विफ्ट) का इस्तेमाल किया जिसकी जानकारी कहीं भी बैंक के रिकॉर्ड में नहीं थी। इसका मतलब है कि बिना शीर्ष अनुमति के बैंक की ओर से देनदारी संबंधी गारंटी दी गई। इसी गारंटी का बोझ अब पीएनबी पर पड़ सकता है जिसका अनुमान नहीं लगा है।
पीएनबी के अलावा इस घोटाले में दो सार्वजनिक और एक निजी बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। यह बैंक हैं यूनियन बैंक, इलाहबाद बैंक और एक्सिस बैंक।
बुधवार को पीएनबी ने बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस तरह के फर्जीवाड़े की जानकारी दी। बैंक ने बताया कि इस माध्यम से 1.7716 अरब डॉलर का अवैध लेन-देन किया गया है। मामले के सामने आने के बाद बैंक के शेयर 10 प्रतिशत गिर गए और इसके निवेशकों को करीब 3 हजार करोड़ का घाटा उठाना पड़ा।
मामले के केन्द्र में हीरा आभूषण कारोबार में लगे नीरव मोदी का नाम आ रहा है। फोब्स पत्रिका के मुताबिक यह देश का 57वां अमीर अरबपति है। इसकी कई कंपनियां हीरे के आभूषण के कारोबार से जुड़ी हैं और ब्रांड की प्रियंका चौपड़ा ब्रैंड अम्बेसडर है। इससे पहले भी पीएनबी से जुड़े ही 280 करोड़ के फर्जीवाड़े में नीरव मोदी का नाम सामने आया है।
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब खरीददारी करने के लिए नीरव मोदी की कंपनियों ने आयात संबंधित दस्तावेज दिखाकर पीएनबी से खरीददारी की देनदारी चुकाने के लिए बैंक क्रेडिट की मांग की। पीएनबी ने फर्म को औपचारिकता पूरी करने को कहा। फर्म ने कहा कि वह पहले भी ऐसे ही बैंक क्रेडिट हासिल कर चुका है।
यह जानकारी मिलने के बाद जांच में पता चला कि इससे पहले भी बिना प्रक्रिया का पालन किए बैंक क्रैडिट जारी किया जाता रहा है जिसके लिए फर्जी एलओयू जारी किए गए। स्फीट इंस्ट्रक्शन के जरीए एलओयू की जानकारी भारतीय बैंकों की हॉंगकांग ब्रांच को भेजी गई। यह पूरी प्रक्रिया मेकर, चैकर और परिक्षक की निगाहों से गुजरनी चाहिए वो नहीं हुआ। इस तरह से इलाहबाद बैंक को पांच एलओयू और एक्सिस बैंक को तीन एलओयू जारी किए गए हैं जिनकी जानकारी बैंक को घोटाला उजागर होने के बाद पता चली। 

प्रवर्तन निदेशालय ने विदेश मंत्रालय को लिखा, नीरव मोदी उनकी पत्नी अमी और मेहुल चोकसी का पासपोर्ट रद्द किया जाए|