देहरादून। बीते 27 फरवरी यानि मंगलवार को अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था उत्तराखण्ड की अध्यक्षता में जनपद देहरादून के सभी राजपत्रित पुलिस अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा करने के लिए पुलिस मुख्यालय की सभागार में एक बैठक आयोजित की गयी। जिसमें दीपम सेठ, पुलिस महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था,पुष्पक ज्योति, पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र, निवेदिता कुकरेती,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून, प्रिति प्रियदर्शनी पुलिस अधीक्षक,शिकायत प्रकोष्ठ पुलिस मुख्यालय देहरादून,प्रदीप राय, पुलिस अधीक्षक नगर, देहरादून,सरिता डोभाल, पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण, देहरादून,लोकेश्वर सिंह, पुलिस अधीक्षक, यातायात देहरादून सहित जनपद देहरादून के सभी क्षेत्राधिकारी उपस्थित रहे।
अशोक कुमार ने शिकायती प्रार्थना-पत्रों की जांच की गुणवत्ता पर नारजगी जताते हुए कहा की पुलिस मुख्यालय शिकायतकर्ता के शिकायती प्रार्थना-पत्रों पर गम्भीरता से ध्यान नहीं दे रहे हैं। पीड़ित/शिकायतकर्ता की बात को पूरा सुने बिना ही थाने द्वारा भेजी गयी जांच आख्या को पुलिस मुख्यालय को अग्रसारित कर दिया जाता है। उन्होने कहा की पुलिस का कार्य अपराध नियंत्रण, यातायात प्रबन्धन तथा पीड़ित की सहायता कर उसे न्याय दिलाना है, इसलिये शिकायतों पर थाना स्तर से की गयी कार्यवाही का क्षेत्राधिकारी द्वारा अवलोकन किया जाये तथा पीड़ित/शिकायतकर्ता की पूरी बात सुनकर एवं उसका पक्ष जानकर ही उसपर कार्यवाही जाये, जिससे कि पीड़ित को न्याय मिल सकें तथा पुलिस पर उसका विश्वास बना रहे।
अशोक कुमार द्वारा बैठक में उपस्थित अधिकारियों के कार्यों में गुणवत्ता लाने एवं कार्यक्षमता बढ़ाने के सम्बन्ध में निर्देश दिए गये-
- पुलिस अधीक्षक नगर/ग्रामीण एवं क्षेत्राधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में यातायात प्रबन्धन एवं शान्ति व्यवस्था हेतु सड़कों पर उपस्थित रहने की आदत बनाये।
- किसी भी घटना पर तुरन्त पहुंचकर रिस्पोन्स टाईम सुधारने हेतु निर्देशित किया गया।
- सड़कों पर अतिक्रमण के विरुद्घ 81 पुलिस एक्ट एवं 133 सीआरपीसी के अन्तर्गत कार्यवाही करें।
- वर्तमान में भू-माफिया, साईबर क्राईम, जॉब स्कैम (नौकरी के नाम पर झांसा देकर ठगी करना) नये उभरते हुये अपराध हैं, जिनपर एफआईआर पंजीकरण करने में टाल-मटोल की जाती है। अतः उक्त अपराधों में तत्काल एफआईआर पंजीकृत कर अग्रिम कार्यवाही की जाये।
- Track the Criminal Not Crime के सिद्धांत पर चलते हुये पांच वर्षीय सक्रीय अपराधियों की निगरानी करें तथा वांछित/लापता आपराधियों को नियमित रुप से ट्रैक करते रहे।