हिम्मत और मेहनत का दूसरा नामः शरद जोशी

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देहरादूनपुलिस मुख्यालय उत्तराखण्डदेहरादून में अनिल के. रतूड़ीपुलिस महानिदेशकउत्तराखण्ड ने आईडब्लूएएस (इंटरनेशनल व्हीलचेयर एंड एम्पूय्टी र्स्पोट्स) वर्ल्ड गेम्स 2019 में पदक मिलने और उच्च प्रदर्शन करने वाले उत्तराखण्ड पुलिस के आरक्षी शरद चन्द्र जोशी से मिलकर उन्हें शुभकामनायें देते हुए भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए कड़ी मेहनत व लगन से अभ्यास करने व स्वर्ण पदक जीतने करने के लिये प्रेरित किया।

10 फरवरी से 16 तक शारजायूएई में आयोजित हुए आईडब्लूएएस (International Wheelchair and Amputee Sports) वर्ल्ड गेम्स 2019 में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्तराखण्ड पुलिस से आरक्षी शरद चन्द्र जोशी ने बैडमिंटन के सिंगल एवं डबल्स इवेन्ट में कांस्य पदक अपने नाम किया।

32 साल के शरद चन्द्र जोशी वर्ष 2005 से उत्तराखण्ड पुलिस का हिस्सा बनें और वर्तमान में 31वी वाहिनी पीएसी में सेवारत हैं। वर्ष 2015 में एक सड़क दुर्घटना में अपना बायां पैर खोने पर भी उन्होनें अपना हौसला नहीं खोया। घुटने के ऊपर से एम्प्यूटी होने के बावजूद शरह जोकि दुर्घटना से पहले जिमनास्ट में भाग लेते थे उन्होंने कुत्रिम  अपने कृत्रिम पैर के साथ अपनी मजबूत इच्छाशक्तिसाहसमेहनत और लगन के बल पर बैडमिंटन चुना और उसमें अव्वल रहें।

न्यूजपोस्ट से खास बातचीत में शरद चन्द्र जोशी जोकि आजकल रुद्रपुर में कार्यरत है हमें बताते हैं कि, “एक्सीडेंट के बाद मानों मिनटों में मैनें अपना सबकुछ खो दिया, मैं इस दुर्घटना से पहले एक जिमनास्ट था। एक्सीडेंट के बाद मैने जेवलाइन थ्रो, डिश्क थ्रो अकेले प्रेक्टिस किया लेकिन इसमें मुझे कुछ खास मजा नहीं आया। टीम गेम सीटिंग वॉलीबॉल में भी हिस्सा लिया लेकिन खुशी नहीं मिली, अब दो साल से मैं बैडमिंटन खेल रहा हूं।” 

आजकल शरद 13-14 मार्च, पंतनगर में होने वाले पैरा बैंडमिंटन नेशनल की तैयारी में लगे हैं।”मेरा शेड्यूल 7:00 बजे से 8:30 जिम सेशन, 9:00 से 12:00 बजे कोर्ट में बैडमिंटन ट्रेनिंग और फिर 4:00 से 7:00 बजे बैडमिंटन ट्रेनिंग में दिन गुजरता हैं।”

अपने कांस्य पदक के बारे में बात करते हुए वो बताते है, “जब मैं विनिंग पोडियम पार अपना कांस्य पदक लेने पहुँचा और हमारा राष्ट्र गीत बजने लगामैं बाकि सब कुछ भूल गयाजिंदगी की सबसे बड़ी खुशी वहीं थी।

शरद चंद्र जोशी की हिम्मत और जज्बे को हम सलाम करते हैं।