अब उत्तराखंड में जुर्म से लड़ना तकनीक की मदद से थोड़ा और आसान हो जायेगा। दरअसल सीसीटीएनएस(क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) के जरिये राज्य के सभी थाने ऑनलाइन हो गए हैं और देश के सभी थानों से जुड़ गए हैं। इससे अपराधियों का पता लगाने और कानून व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस को मदद मिलेगी।
पुलिस को आधुनिक बनाने के तहत
- सिटिजन चार्टर लागू किया गया है।
- रियल टाइम में एफआईआर दर्ज किए जा रहे हैं।
- सीसीटीएनएस के दूसरे चरण के लिए भारत सरकार से स्वीकृति मिल गयी है।
- इसके तहत सीसीटीएनएस परियोजना को इंटेरोपेराबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम(Interoperable Criminal Justice System) से इंटिग्रेटेड किया जाएगा। इसमें न्यायालय, जेल, फॉरेंसिक लैब, अभियोजन कार्यालयों का ऑटोमेशन विकसित किया जा रहा है।
156 पुलिस थाने सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं। पौड़ी जिले में खुले पैठानी और थलीसैंण दो नए थानों को जोड़ने की कार्यवाही चल रही है। नेशनल डेटा सेंटर से चल रहे सीसीटीएनएस को अब राज्य में स्थापित हो रहे स्टेट डेटा सेंटर में होस्ट किया जाएगा।
इस बारे में बात करते हुए डीजीपी अनिल रतूड़ी ने कहा कि “इस काम में दो हिस्से हैं, जिनमे हार्डवेयर एक है और सॉफ्टवेयर दूसरा। सॉफ्टवेटर को एनसीआरबी ने विकसित किया है। फिलहाल ये दिक्कत आ रही है कि देश भर में अलग अलग राज्य इसके लिये अपनी स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं। इस मसले पर काम चल रहा है पर पिछले 15 सालों के रिकॉर्ड ज़रूर देशभर के पुलिस विभाग साझा कर सकते हैं।”