अधिसूचना जारी होते ही उत्तराखण्ड पंचायत चुनाव की सियासी हलचलें तेज 

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देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की औपचारिक अधिसूचना जारी होते ही यहां के प्रमुुख दल भाजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। यही कारण है कि भाजपा अपनी जीत के सिलसिला को आगे जारी रखने के लिए खाली चल रहे संगठन महामंत्री पद पर नियुक्त कर दी है। उप निकाय चुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस भी इस चुनाव में बाजी मारने में कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती है। इसे लेकर प्रदेश नेतृत्व पूरी तरह सक्रिय हो गया है।
सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारियों के बीच सियासी दल भी पंचायत चुनाव को अपने पाले में करने में पूरी तरह सजग हो गए हैं। हरिद्वार को छोड़कर बाकी सभी 12 जिलों में 66 हजार से ज्यादा पदों पर चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। पहले चरण का चुनाव छह अक्टूबर, दूसरे चरण का चुनाव 11 अक्टूबर और तीसरे चरण का चुनाव 16 अक्टूबर को होगा। तीनों चरणों के चुनाव परिणाम 21 अक्टूबर को घोषित होंगे।
कांग्रेस और भाजपा कार्यालयों में राजनीति के रणनीतिकारों की जीत को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। पंचायत चुनाव में कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देने की पूरी रणनीति के तहत काम करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह आचार संहिता लगने से पहले ही पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों को लेकर जिला प्रभारियों और जिला अध्यक्ष को तैयारियों में जुटने को निर्देश दे दिया था। हालांकि कांग्रेस की आपसी खींचतान और संगठन की कमजोरी यहां भी असहसज करने जैसी है। हाल ही में प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों में एक-एक निकाय चुनाव में हासिल हुई जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह देखा जा रहा है। खासतौर पर प्रीतम सिंह के लिए यह और अहम है। एक ओर सांगठनिक कमजोरी तो दूसरी ओर बड़े नेताओं की कमी व गुटबाजी के साथ कांग्रेस की सबसे बड़ा सरदर्द है। भारी भरकम नेताओं की फौज के साथ मजबूत सांगठनिक भाजपा की जीत के लिए थोड़ी राहत देता है। लेकिन चुनाव में छोटे-छोटे दलों के उतरने से राष्ट्रीय पार्टी के लिये नुकसानदायक साबित हो सकता है। हालांकि उत्तराखण्ड में छोटे दल अपने वजूद के लिए जूझ रहे हैं, ऐसे में वे ज्यादा प्रभावकारी साबित नहीं हो पाएंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि भाजपा के पंचायत एक्ट कानून में संशोधन से लोगों में आक्रोश है जिसका ​निश्चित ही कांग्रेस को लाभ मिलेगा। उनका कहना है कि कांग्रेस पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रही है। प्रदेश सरकार की जनविरोधी निर्णयों से लोगों में सरकार से पूरी तरह विश्वास उठ गया है और ऐसे में कांग्रेस की विकल्प है। भाजपा पंचायत जीत के लिए कहीं से कोई गलती नही करना चाहती है। निकाय चुनाव के समय से भाजपा संगठन महामंत्री के खाली पद पर अजय कुमार की नियुक्ति कर भाजपा ने संगठन और विरोधी दल को कड़ी टक्कर की चुनौती दे दी है। साथ ही भाजपा सरकार की जनकल्याणकारी योजना को भी जनता के सामने रखकर इस मौके को अपने पाले में भुनाने का काम करेगी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव घरेलू होता है। इसमें एक-एक बात सरकार व पार्टी से लेकर आपसी मुदृों को भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में प्रत्याशी चयन और दल की सक्रियता काफी मायने रखता है। प्रदेश में क्षेत्रीय दल नाममात्र है इस कारण भाजपा और कांग्रेस में ही सीधी टक्कर देखी जा रही है।