ऊर्जा निगम व्यवस्था में सुधार के दावे फेल

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    देहरादून। ऊर्जा निगम व्यवस्थाओं में सुधार के लाख दावे करें, पर हकीकत बदहाल ही है। छोटे-छोटे कामों के लिए उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ता है जबकि यह परेशानी भी निगम के कारण ही पैदा होती है। ऐसा ही एक मामला स्वीकृत भार कम कराने को लेकर सामने आया है। सुद्धोवाला निवासी दीपिक सिंह ने जनवरी, 2016 में 75 किलोवाट क्षमता का कनेक्शन लिया था। छह महीने बाद उन्होंने देखा कि जरुरत खपत के अनुसार कनेक्शन की क्षमता अधिक है। लोड कम कराने के लिए वह अधिशासी अभियंता कार्यालय में संपर्क किया तो वहां से कहा गया कि छह महीने बाद लोड में बदलाव किया जा सकता है। जबकि छह महीने पूरे हो चुके थे।

    वहीं, नियमानुसार कनेक्शन लेने के बाद एक बिल आने के बाद उपभोक्ता लोड में बदलाव करा सकता है। कई महीने चक्कर काटने के बाद दीपिका ने दिसंबर, 2016 में आवेदन किया कि 75 किलोवाट लोड को 30 किलोवाट करा दिया जाए, लेकिन इसके बाद भी लोड कम नहीं किया गया और उसी लोड के हिसाब से बिल जारी किया जाता रहा। सितंबर, 2017 में एसडीओ मोहनपुर ने उन्हें जानकारी दी कि लोड कम कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी बिल 75 किलोवाट लोड के अनुसार ही आया।
    ऊर्जा निगम दफ्तरों के चक्कर काटकर परेशान दीपिका सिंह ने विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में शिकायत की। अधिशासी अभियंता ग्रामीण ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि 30 अप्रैल, 2017 को लोड घटा दिया था, लेकिन तकनीकी कारणों से लोड में बदलाव नहीं हुआ। इसके बाद चेक मीटर लगाया गया और मीटर 33 फीसद धीमा पाया गया। इसके बाद फिर से सितंबर में भार कम करने के आदेश जारी किए गए। मंच ने फैसला सुनाया कि 30 अप्रैल से ही लोड कम करना माना जाएगा। ऊर्जा निगम उपभोक्ता को मई से अब तक का संशोधित बिल जारी करे।