जोनल प्लान पर आई 246 आपत्तियां, 35 पर ही टाउन प्लानिंग के हाथ खड़े

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    देहरादून। करीब डेढ़ माह के लंबे अंतराल तक चली जोनल प्लान की आपत्तियों पर सुनवाई के बाद भी हालात ढाक के तीन पात हैं। जोनल प्लान की खामियों पर एक साथ 246 आपत्तियां लगाने वाले उत्तरांचल इंजीनियर्स एंड ड्राफ्ट्समैन वेलफेयर एसोसिएशन की आपत्तियों पर टाउन प्लानिंग (नगर नियोजन) विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अाखिरी दिन की सुनवाई एसोसिएशन की आपत्तियों के लिए रखा गया था लेकिन करीब 35 आपत्तियों की सुनवाई में ही अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए। अब एसोसिएशन को सभी नौ जोन का नक्शा देने की बात कही जा रही है ताकि इस पर ही खामियों पर निशान लगाकर इंगित किया जा सके।

    शुक्रवार को एमडीडीए कार्यालय में जोनल प्लान की आपत्तियों पर आखिरी सुनवाई थी। सबसे अधिक 246 आपत्तियां एसोसिएशन की तरफ से लगाई गई थीं, लिहाजा, अंतिम दिन इन्हीं आपत्तियों की सुनवाई के लिए रखा गया था। सुनवाई दोपहर बाद तीन बजे शुरू की गई और एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा इसमें उपस्थित हुए। सेक्टर एक से शुरू की गई सुनवाई में उन्होंने पुलिस महानिदेशक कार्यालय के जोनल प्लान में गायब होने, कांवली रोड स्थित एमडीडीए की आवासीय कॉलोनी में कमर्शियल दिखाने समेत जंगल को कृषि भूमि व कृषि भूमि का अन्य भूपयोग में दर्ज करने जैसी तमाम आपत्तियों को डीएस राणा ने उठाया। आपत्तियों की संख्या अधिक होने व उनकी गंभीर प्रकृति को देखते हुए मुख्य नगर नियोजक एसके पंत ने तय किया कि एसोसिएशन को हर सेक्टर का अलग-अलग नक्शा दिया जाएगा। इस पर एसोसिएशन खामियों पर निशान लगाएगी, ताकि उनकी वास्तविक स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सके। यह भी तय किया गया कि एसोसिएशन को सुनवाई के लिए दोबारा अवसर दिया जाएगा। हालांकि अभी इसकी तिथि तय नहीं की जा सकी है। सुनवाई में नगर नियोजक गीता खुल्बे आदि उपस्थित रहे।
    एसोसिएशन ने यह खामियां उठाईं
    जोन-1: सुभाष रोड स्थित राज्य का पुलिस मुख्यालय, खुड़बुड़ा स्थित गुरुनानक गल्र्स स्कूल और तिब्बती मार्केट नक्शे से गायब हैं। बिंदाल स्थित पावर स्टेशन, धामावाला स्थित मस्जिद, एमकेपी कॉलेज क्षेत्र, रेंजर्स कॉलेज की दोनों तरफ की सड़कें, ईसी रोड स्थित बिजली दफ्तर, जीपीओ के पास चर्च, सचिवालय के पिछले गेट के सामने का राजकीय स्कूल, तिलक रोड स्थित वन विभाग कार्यालय व आवास, कांवली रोड पर एमडीडीए कॉलोनी सहित अनेक सरकारी व निजी क्षेत्रों को कमर्शियल श्रेणी में रखा गया है। घोसी गली का स्थान भी जोनल प्लान में परिवर्तित किया गया है।
    जोन-2: रेसकोर्स में सरकारी कॉलोनी और विधायक निवास नक्शे से गायब हैं। यहां के गुरुद्वारा, पटेलनगर स्थित बीएसएनएल कार्यालय, एसजीआरआर मेडिकल इंस्टीट्यूट, बिंदाल नदी से लगता हुआ बाइपास क्षेत्र, कारगी चौक का आवासीय क्षेत्र समेत तमाम इलाकों वास्तविक स्थिति में नहीं नजर आते। यहां के राजकीय मेडिकल कॉलेज को आवासीय और हर्रावाला के आवासीय क्षेत्र, विधानसभा से लगता हुआ आवासीय क्षेत्र सार्वजनिक व अद्र्धसार्वजनिक के रूप में प्रदर्शित किए गए हैं।

    जोन-3: कुआंवाला, नकरौंदा, नथुवावाला के एक बड़े भूभाग को कृषि क्षेत्र दर्शाया गया है। जबकि इस इलाके का अधिकांश भाग आवासीय घोषित किया जा चुका है। वहीं, रायपुर रिंग रोड स्थित राजस्व परिषद और इससे लगते हुए अन्य राजकीय विभागों को कमर्शियल भूमि दर्शाया गया है। राज्य सूचना आयोग के पिछली तरफ से लगते हुए आवासीय क्षेत्र को वन क्षेत्र दिखाया है। डालनवाला के ब्राइटलैंड स्कूल को आवासीय व राजकीय गांधी शताब्दी हॉस्पिटल को तो प्लान से गायब ही कर दिया गया। बलबीर रोड स्थित रिवेरडेल जूनियर स्कूल को भी प्लान में नहीं दर्शाया गया है। मोहिनी रोड स्थित दून इंटरनेशनल स्कूल, चैशायर होम, लक्ष्मी रोड पर आयकर विभाग की कॉलोनी और पेयजल निगम मुख्यालय नक्शे से गायब हैं।
    जोन-4: रायपुर के अधिकांश आवासीय क्षेत्र को कैंट की भूमि दर्शाई गई है। रायपुर रोड स्थित पुलिस स्टेशन से लगते हुए वन क्षेत्र के स्थान पर नक्शे में पार्क दिखाया गया है और उससे लगते हुए आवासीय भूमि को वन भूभाग दर्शाया गया है। जगतखाना से लगते हुए आवासीय क्षेत्र को कृषि भूमि दिखाया गया है।

    जोन-5: जाखन जोहरी गांव से लगते हुए विशाल वन भूभाग को जोनल प्लान में आवासीय और कृषि भूमि बताना समझ से परे है। वहीं, मसूरी डायवर्जन क्षेत्र में सिनोला के वन भूभाग को आवासीय दिखाया गया है। उत्तरी गांव (कसिगा) स्थित भगवती इंटर कॉलेज और इससे लगे वन क्षेत्र को कृषि भूमि दिखाया गया है। भगवंतपुर से जाने वाले बाइपास मार्ग का कृषि क्षेत्र गायब है। पुरकुल गांव के प्राइवेट जमीन पर नक्शे में जंगल उग आया है। नक्शे में दानियों का डांडा इलाके के विशाल वन क्षेत्र को कृषि क्षेत्र दिखाया गया है।

    जोन-6: गोविंदगढ़ स्थित ईदगाह नक्शे से गायब है। यमुना कॉलोनी के सरकारी विभाग भी नक्शे में नहीं हैं। राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री स्कूल (आरआइएमसी) को भी नक्शे से गायब कर दिया गया। ओएनजीसी के हेलीपैड को टूरिस्ट प्लेस दिखाया गया है, जबकि पंडितवाड़ी स्थित राजकीय स्कूल और अधिकांश आवासीय क्षेत्र को कमर्शियल दर्शाया गया है।

    जोन-7: शिमला बाइपास रोड पर बड़े पैमाने पर आवासीय व कृषि भूमि को वन भूभाग बताया गया। बड़ोवाला से लगते हुए आवासीय क्षेत्र को कृषि भूमि, मेहूंवाला, हरभजवाला, मेहूंवालामाफी के अधिकांश आवासीय क्षेत्र को कृषि भूमि दिखाया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान से लगते हुए एक बड़े भूखंड को जिसमें आवासीय निर्माण हैं, उन्हें पार्क और बाग दिखाया गया है। संस्थान से लगते हुए आरकेडियाग्रांट के आवासीय क्षेत्र को जंगल दर्शाया गया।

    जोन-8: चाय बागान से लगते हुए तमाम क्षेत्रों में भारी खामियां हैं। प्रेमनगर स्थित कारमन स्कूल के सामने से शुरू होकर आसन नदी तक फैले चाय बागान को नक्शे से गायब कर आवासीय क्षेत्र को चाय बागान बताया गया है। ईस्टहोपटाउन के आवासीय भाग को कृषि, आसन नदी से लगते हुए गांव के एक बड़े आवासीय भूभाग को कृषि भूमि दर्शा रखा है।

    जोन-9: कोल्हूपानी स्थित उर्वरक फैक्ट्री को कृषि भूमि और कृषि भूमि को सार्वजनिक बताया गया। पौंधा स्थित दून इंटरनेशनल स्कूल नक्शे से ही गायब है। फूलसनी के आवासीय क्षेत्र, कोटड़ा संतौर की कृषि भूमि को जंगल, मसंदावाला स्थित टीएचडीसी कॉलोनी, जैंतनवाला, गजियावाला के आवासीय क्षेत्र को कृषि बताते हुए संतला देवी मंदिर को नक्शे से गायब कर दिया गया।