गोपेश्वर। उत्तराखंड सरकार का बजट सत्र पहले दिन ही हंगामेदार रहा। राज्यपाल डा. केके पाॅल ने जैसे ही सदन में अपना अभिभाषण शुरू किया। प्रतिपक्ष विरोध करते हुए वेल में आ गया। एक ओर जहां सदन हंगामेदार रहा वहीं विधान सभा परिसर के बाहर और दिवालीखाल, जंगल चट्टी, गैरसैण, मेहलचोरी सहित 15 किमी के दायरे में आंदोलनकारियों ने जबरदस्त नारेबाजी करते हुए स्थाई राजधानी गैरसैण की मांग की। पुलिस ने आंदोलनकारियों को अलग-अलग स्थानों पर पकड़ कर अस्थायी जेलों भेज दिया।
बजट सत्र के पहले दिन ही आंदोलनकारी ताकतों ने स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर विभिन्न स्थानों पर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। तमाम सुरक्षा व्यवस्थाओं के बावजूद भी उत्तराखंड राज्य संघर्ष समिति, यूकेडी व उत्तराखंड राज्य आंदोलकारी जंगलों के रास्ते अलग-अलग टुकडियों में विधान सभा परिसर में घूस गए। जिसको देख सुरक्षा कर्मियों के हाथपांव फुल गए। भारी भरकम पुलिस बल जब उन्हें पकडने के लिए दौड़ा तो आंदोलनकारी झंडे पर्चे हाथ में लेकर आगे बढ़ने लगे। यूकेडी के त्रिवेंद्र पंवार, किशोरी नंदन डोभाल समेत 100 से अधिक आंदोलकारी जंगल के रास्ते विधान सभा परिसर में पहुंच गए।
उधर, राजेंद्र सिंह कंनोडियां बिष्ट के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ दूसरे जंगल के रास्ते विधान सभा परिसर में आ गए। सुरक्षा कर्मियों ने आंदोलनकारियों को वाहनों में ठूंस कर मालसी व अन्य स्थानों पर बनी अस्थाई जेलों में भेज दिया। सबसे ज्यादा हंगामा दिवालीखाल में देखने को मिला। यहां पर भारी बेरिकेंटिंग की गई थी। जैसे ही आंदोलकारी आगे बढे़ सुरक्षा कर्मियों ने पानी की बौछारों से उन्हें रोकना चाहा। कुछ आंदोलनकारी पानी के टेंकर पर ही चढ गये। और वाटर टेंक के पाइप को हाथ से दबा दिया। सीपीएम तथा अन्य वामपंथी दलों ने भी गैरसैण स्थायी राजधानी की मांग को लेकर सभाऐं की। सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, भूपाल सिंह रावत, मदन मिश्रा समेत कई आंदोलनकारियों ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस स्थायी राजधानी के नाम पर जनता के साथ छलावा कर रही है।
जाम में फंसे रहे मंत्री, विधायक और अधिकारी
बजट सत्र जैसे ही शुरू होने को था। आंदोलनकारी कर्णप्रयाग से लेकर कुमायू तक के मार्ग में जमा हो गये जिससे यातायाता भी प्रभावित हुआ। कई किमी तक जाम लगा रहा। यहां तक की विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों को भी जाम का सामना करना पड़ा। लगभग तीन घंटे बाद किसी तरह जाम खुला तो चार किमी पैदल चल कर विधान सभा परिसर में मंत्री, विधायक और अधिकारी पहुंच पाये।
मंत्री मदन कौशिक को भी झेलना पडा़ महिला आंदोलनकारियों का विरोध
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक जब बजट सत्र के लिए आ रहे थे तो रास्ते में महिला आंदोलनकारियों ने रास्ते में उनका काफिला भी रोक दिया। और स्थायी राजधानी गैरसैण की मांग को लेकर अपनी भावनाऐं मंत्री को बतायी। मंत्री को भी लगभग आधा किमी पैदल चलना पडा तब दूसरे वाहन से बडी मुश्किल से वे सदन में पहुंच पाये। विधायक कुंवर प्रवीण चैपियन को भी जाम का सामना करना पड़ा। कुछ किमी पैदल चलने के बाद किसी अन्य वाहन से वे सदन में पहुंच पाये। यही हालत अन्य विधायकों की भी रही।
आंदोलनकारियों ने दिखाई ताकत
हालाकि अलग-अलग स्थानों पर आंदोलनकारी ताकतें गैरसेण राजधनी बनाने की मांग को लेकर विरोध करती दिखी मगर शासन प्रशासन को भी उतना अंदेशा नहीं था कि अलग-अलग स्थानों से इतनी भारी मात्रा में आंदोलनकारी पहुंचेगे। हालांकि पुलिस ने संयम भी बरता और आंदोलनकारियों ने भी लोकतंत्रात्मक ढंग से अपनी बात रखी। इसलिए हिंसक और अप्रिय घटना सामने नहीं आयी। भरारीसैण और आसपास गांव की कई महिलाऐं पानी की समस्या को लेकर सीएम से मिलना चाहती थी मगर पुलिस ने उनको भी रोक लिया और वाहनों में विठाकर अलग-अलग स्थानों पर छोड दिया। इस बार विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस अलग ही भूमिका मे दिखी। वह इस बार आंदोलनकारियों के साथ खड़ी नजर आयी। कांग्रेस के नेता अलग-अलग स्थानों पर अपनी पार्टी का झंडा लेकर खडे दिखे।