उत्तराखंड में कौन बनेगा मुख्यमंत्री की चर्चा जोरों पर

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उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है। प्रदेश में चौथी आम विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुका है जबकि एक सीट कर्णप्रयाग पर नौ मार्च को चुनाव होना है।
बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि कांग्रेस भाजपा के कौन नेता मुख्यमंत्री होगा। हालांकि कांग्रेस में हरीश रावत को ही सीएम का दावेदार माना जा रहा है लेकिन भाजपा में नाम को लेकर संस्पेंश बना हुआ है। उत्तराखण्ड में कई बार सत्तासीन मुख्यमंत्री को राजनीतिक अंकगणित में पद से हाथ धोना पड़ा है।
उत्तराखण्ड गठन के बाद प्रथम मुख्यमंत्री बने नित्यानंद स्वामी 09 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक सीएम तक रहें। भगत सिंह कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 01 मार्च 2002 तक सीएम रहे इस दौरान राज्य में अंतरिम विधानसभा थी और आम चुनाव नहीं हुए थे। वर्ष 2002 में पहली बार विधानसभा के आम चुनाव हुए, लेकिन सीएम बनने वाले एनडी तिवारी रामनगर सीट पर उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए।
भुवन चन्द्र खंडूड़ी मार्च 2007 से 26 जून 2009 तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन वे भी विधानसभा चुनाव में विधायक नहीं बन पाए थे और वे धूमाकोट विधानसभा सीट से उपचुनाव में विधायक बने। रमेश पोखरियाल निशंक 27 जून 2009 से 10 सितम्बर 2011 तक सीएम रहे जो अकेले ऐसे विधायक हैं जो मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2012 में भाजपा से सत्ता छीनकर कांग्रेस के विजय बहुगुणा भी पहले सीएम बने और बाद में सितारगंज से उपचुनाव में विधायक बने।
वर्तमान सीएम हरीश रावत भी सांसद रहने के बाद 01 फरवरी 2014 को सीएम बने तो वह भी धारचुला विधानसभा सीट से उप चुनाव में विधायक बने। प्रदेश में चौथी विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद ही राज्य की नई तस्वीर स्पष्ट हो पायेगा।