(ऋषिकेश) उत्तराखंड में गंगा पर अब रिवर राफ्टिंग फिर से शुरू होगी, नैनीताल हाईकोर्ट ने अपने संशोधित आदेश में पूर्व के हाईकोर्ट के आदेश के बाद लगी रोक को हटा लिया है। इसके कारण ऋषिकेश में राफ्टिंग व्यवसाइयों में खुशी की लहर है। हाई कोर्ट ने टिहरी झील और ऋषिकेश में गंगा नदी पर वाटर स्पोर्ट्स और रिवर राफ्टिंग पर अनुमति प्रदान कर दी है जिसके चलते अब नए सीजन में रंग बिरंगी राफ़्टो से एक बार फिर गंगा नदी गुलजार हो जाएगी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड मे होने वाले जल खेलो जैसे कि रिवर राफ्टिंग,पैराग्लाइडिंग के साथ ही अन्य जल खेलों पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश जारी कर कहा था कि रिवर राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग के साथ ही अन्य सभी जल क्रीड़ाओं को लेकर नीति और नियम बनाए। कोर्ट ने जब तक कानून नहीं बनता तब तक रिवर राफ्टिंग पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यह आदेश ऋषिकेश निवासी हरिओम कश्यप द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था। कोर्ट का कहना था कि गंगा नदी के किनारे रिवर राफ्टिंग व खेल की आड़ मे लोग गंगा की मर्यादा को भंग करते हैं और यह इलाका अय्याशी का अड्डा बन कर रह गए है। सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है सरकार को जल्द से जल्द नियम और नीति बनानी होगी कोर्ट ने 2 हफ्ते का टाइम राज्य सरकार को दिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए नये आदेश जारी किये हैं। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह आर्मी को 3 दिन के भीतर वॉटर स्पोर्ट की अनुमति प्रदान करें। पूर्व में कोर्ट ने राज्य में नीति ना होने के कारण साहसिक खेलों पर रोक लगा दी थी जिसके चलते टिहरी झील में सेना की ट्रेनिंग भी बंद हो गई थी। कोर्ट की अनुमति के बाद ऋषिकेश में सालों से राफ्टिंग व्यवसाय कर रहा है मनीष डिमरी का कहना है कि “कोर्ट का यह आदेश साहसिक खेलों से जुड़े युवाओं के हित में आया है इसका स्वागत हम सब करते हैं क्योंकि ऋषिकेश में राफ्टिंग से कई व्यवसाय जुड़े हुए हैं और सब की रोजी रोटी इसी से चलती है कोर्ट की रोक के बाद तेजी से ऋषिकेश से पलायन बढ़ गया था। युवा रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों का रुख करने लगे थे अब एक बार फिर राफ्टिंग की अनुमति मिलने से यहां के बेरोजगारों में एक नई आशा जगी है”
बहरहाल इतना तो तय है कि पिछले कई सालों से ऋषिकोश देश दुनिया में साहसिक खेलों खासतौर पर राफ्टिंग का केंद्र बना हुा है। लेकिन सरकार की तरफ से इन खेलों के लिये इतने सालों में कोई नीति न बना पाना इस बात की तरफ साफ इसारा करता है कि सरकार साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के चाहे जितने मर्जी दावे करे लेकिन उसकी कथनी और करनी में अभी काफी फर्क है।