उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में पूर्व अभिनेता और कांग्रेस नेता राज बब्बर की पारी समाप्ति की ओर है। पांच साल में उत्तराखंड से उनकी दूरी से उपजे सवाल नए सिरे से उठ रहे हैं। पिछले पांच साल में पांच बार भी राज बब्बर के कदम उत्तराखंड की धरती पर नहीं पडे़। उन्होंने चमोली जिले के लामबगड़ गांव को आदर्श गांव के रूप में गोद लिया। मगर उसकी भी तकदीर नहीं बदली। यह हाल तब है, जब चुनाव के वक्त बाहरी उम्मीदवार के ठप्पे से परेशान होकर राज बब्बर ने उत्तराखंड से वादा किया था कि वह इस धरती से हमेशा जुड़ाव बनाकर रखेंगे।
-पांच साल में पांच बार भी नहीं रखे उत्तराखंड में कदम, उत्तर प्रदेश की सियासत में रहे व्यस्त
राज बब्बर को राज्यसभा सदस्य बतौर सिर्फ पांच साल मिले। एक साल का कार्यकाल दिवंगत मनोरमा शर्मा डोबरियाल के नाम रहा। दरअसल, 2014 में हरीश रावत सरकार के जमाने में तमाम बडे़ धुरंधरों को पीछे छोड़ते हुए देहरादून की पहली मेयर मनोरमा शर्मा डोबरियाल राज्यसभा पहुंच गई थीं। मगर एक साल बाद ही उनका देहांत हो गया और नए सिरे से हुए चुनाव में राज बब्बर उच्च सदन के सदस्य बने। मनोरमा शर्मा डोबरियाल उत्तराखंड की थीं और राज बब्बर को पैराशूट उम्मीदवार जैसी बातें सुननी पड़ी थीं। लोकल कनेक्शन मजबूत करने के लिए 2015 में चुनाव के वक्त राज बब्बर ने कई सारे उपाय किए। वह मनोरमा शर्मा डोबरियाल के घर गए। परिजनों से मिले। तमाम अन्य लोगों से मुलाकात करते रहे। और तो आदर्श गांव बतौर उन्होंने उस लामबगड़ गांव को ही चमकाने का वादा किया था, जिसे मनोरमा शर्मा डोबरियाल अपने जीते जी चयनित कर गई थीं।
पिछले पांच साल में राज बब्बर उत्तर प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय रहे। बीच के एक दौर में उन्हें उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष भी बना दिया गया। इसके साथ तय हो गया था कि अब तो राज बब्बर का उत्तराखंड आना और भी मुश्किल है। हुआ भी ऐसा ही। राज बब्बर यूपी के छोटे भाई उत्तराखंड की तरफ नहीं आए। 2016 में जब हरीश रावत सरकार को केंद्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया था तब भाजपा के खिलाफ चले कांग्रेस के संघर्ष में जरूर राज बब्बर एक-दो दिन के लिए उत्तराखंड आए थे। उन्होंने देहरादून में भाजपा पर जमकर प्रहार किए थे, लेकिन फिर उनका उत्तराखंड आना किसी को याद नहीं रहा।
25 नवम्बर को राज बब्बर का राज्यसभा सदस्य बतौर कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। उन पर सवाल उठ रहे हैं तो बचाव में कांग्रेस नेताओं के अपने तर्क हैं। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी का कहना है कि यूपी जैसे बडे़ राज्य में राज बब्बर पर पार्टी संगठन की अहम जिम्मेदारी रही। उन्हें अपनी सभी भूमिकाओं को देखना था। वैसे वरिष्ठ पत्रकार योगेश कुमार का कहना है कि न सिर्फ राज बब्बर, बल्कि अन्य सभी वे नेता, जो वाया उत्तराखंड राज्यसभा पहुंचे हैं, उन्होंने जीतने के बाद यहां से कोई सरोकार नहीं रखा।