देहरादून के राजपुर रोड पर चढ़ते हुए जब सड़के संकरी होने लगती है और आपको लगता है कि आपने सब कुछ देख लिया है, तभी आपको एक कैफे दिखाई देता है ‘दि टी रुम एट अलाया,’ 5 हफ्ते पुरानी ऐसी ईटरी, जिसको देख कर आप अंदाजा लगा सकते हो कि कैसे किसी कलाकार के हाथ लगते ही कोई जगह आर्ट गैलरी लगने लगती है।
यह बीस-सीटर कैफे, इसकी खूबसूरत पर चार चांद लगाते लकड़ी की सजावट, नीचे की लेन पर खुलने वाली खिड़कियों के साथ समयबद्धता के एक स्पर्श को जोड़ता है, बैकग्राउंड में हरे भरे हरे पहाड़ियों का दृश्य, साथ ही अच्छे और पाजिटीव वाइब्स के साथ यह जगह भरी हुई है। एक छत के नीचे, मंगलवार को छोड़कर, 4-5 लोगों की एक टीम, सुबह 10:00 बजे से लेकर 8:30 बजे तक लोगों को उनकी पसंद की चीजें सर्व करने का काम करती हैं। हर शाम विदेशी पर्यटक अौर स्थानीय लोग यहां अपनी मनपसंद आइस टी, कहवा, पिटा ब्रेड के साथ हर तरह के शेक पीने यहां पहुंचते हैं।
जोशुआ और उनकी पत्नी ऋचा, 2000 के शुरूआती वर्षों में राजपुर वापस आए और 2005 में अालया स्टूडियो को इस क्षेत्र से बेरोजगार युवाओं के साथ शुरू किया । उन्होंने अपनी विशेषज्ञता को अपनी कार्यशाला में बदल दिया। एक आदर्श सेटिंग के लिए जोशुआ की पत्नी एक अच्छी आलोचक और प्रबंधक हैं, जो अपने नए संयुक्त प्रयास में सुधार करने और इसके बारे में अधिक जानकारी रखने पर जोर देती हैं।
तमिलनाडु के ईटरी के मैनेजर बेनहर, जब अपनी होटल मैनेजमेंट डिग्री का उपयोग करने का मौका लेकर आए, तो उन्होंने हमें बताया, ‘मुझे यहां का मौसम मेरे लिए अनुकूल लगता है और यह सेटिंग मेरे लिए एकदम सही है, मैं अपना काम से बहुत प्यार करता हूं। वह अपनी मुस्कुराहट और अलग-अलग तरह के शेक और सैंडविच बनाने में अपने काम के प्रति लगाव को साफ-साफ दर्शाते हैं।
जैसे ही शाम की किरणें आसमान में बिखरने लगती है, टी रुम आउटलेट हल्की रोशनी और बैकग्राउंड में संगीत से भर जाता है। शाम की चाय के साथ लोगों के बात करने की आवाज वहां के माहौल को और खूबसूरत बना देते हैं। तो अब जब कभी अाप राजपूर जायें तो कुछ हटकर करने का मन करें तो टी रुम जरुर जाएं।