नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल जज अरविंद कुमार ने एक अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया। एक अप्रैल तक वाड्रा की गिरफ्तारी पर लगी रोक बरकरार रहेगी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान ईडी ने वाड्रा की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि एक सामान्य व्यक्ति जिसके पास कुछ भी नहीं था अब कई संपत्तियों की डील करता है। ईडी ने कहा कि क्या हम ऐसी बड़ी-बड़ी डीलों में वाड्रा की हिरासत के हकदार नहीं हैं, जिसने राजनीतिक संरक्षण होने की वजह से सिस्टम का मजाक बना दिया है। वाड्रा जैसा व्यक्ति जिसे समाज में एक ऊंचा स्थान प्राप्त है, जांच में बाधा खड़ी कर सकता है। जांच में बाधा डालने का काम शुरू हो चुका है।
सुनवाई के दौरान वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी औऱ अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी की हिरासत की मांग का विरोध करते हुए कहा कि ईडी ने पहले ही दस्तावेज जब्त कर लिया है। तब भला साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि वाड्रा ने कोर्ट की छूट का कोई गलत फायदा नहीं उठाया है।
पिछले 19 मार्च को सुनवाई के दौरान ईडी ने वाड्रा की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया था। ईडी ने कहा था कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इससे पहले दो मार्च को सुनवाई के दौरान ईडी ने वाड्रा के दफ्तर से पिछले साल छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों की हार्ड कॉपी वाड्रा को सौंपी थी। वाड्रा ने दस्तावेज नहीं मिलने तक पूछताछ पर रोक लगाने की मांग की थी।
पिछले 25 फरवरी को कोर्ट ने वाड्रा की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने मांग की थी कि जब तक ईडी के पास मनी लाउंड्रिंग केस के मामले की हार्ड कॉपी नहीं मिल जाती है तब तक उन्हें ईडी की पूछताछ से छूट दी जाए। कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया कि वो पांच दिनों के अंदर दस्तावेजों की हार्ड कॉपी रॉबर्ड वाड्रा को उपलब्ध कराएं। स्पेशल जज अरविंद कुमार ने कहा कि आप ईडी के पास 26 फरवरी को पूछताछ के लिए जाएं। उसके बाद वाड्रा 26 फरवरी को पूछताछ के लिए ईडी के दफ्तर गए थे।
25 फरवरी को ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी को दस्तावेजों की डिजिटल कॉपी सौंपी थी। तुलसी ने कहा कि कुल 185 दस्तावेज़ हैं, जो हमें दिए जाने चाहिए, बिना दस्तावेज़ देखे हम जांच में सहयोग कैसे कर सकते हैं। हमें हार्ड कॉपी मिलनी चाहिए। तब कोर्ट ने कहा था कि हमें भी सॉफ्ट कॉपी ही मिली है। तब ईडी के वकील ने कहा कि हमारे पास कुछ दस्तावेज हो सकते हैं लेकिन हम वो दस्तावेज कैसे दे सकते हैं जो हमने सीज ही नहीं किए हैं।
पिछले 16 फरवरी को कोर्ट ने वाड्रा की गिरफ्तारी पर लगी रोक आज तक के लिए बढ़ा दी थी। सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि उन्हें वाड्रा से 4-5 दिन पूछताछ करनी है तब वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि उन्हें कोई एतराज़ नहीं है लेकिन उनके मुवक्किल को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। ईडी ने कहा था कि वाड्रा कोर्ट या ईडी के दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचते हैं तो उनके साथ पूरी बारात होती है। कोर्ट ने वाड्रा के करीबी मनोज अरोड़ा की गिरफ्तारी पर लगी रोक भी आज तक के लिए बढ़ा दी थी। पिछले दो फरवरी को कोर्ट ने वाड्रा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई थी। कोर्ट ने वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन पर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था।
वाड्रा की तरफ से वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि वाड्रा की समाज में प्रतिष्ठा है। वे क़ानून से भागने वाले इंसान नहीं हैं। ये केस और कुछ नहीं,बल्कि राजनीतिक द्वेष की भावना के चलते दर्ज़ किया गया।
पटियाला हाउस कोर्ट ने मनोज अरोड़ा को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई थी। लेकिन साथ ही मनोज अरोड़ा को निर्देश दिया था कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ जांच में सहयोग करें । ईडी ने कहा था कि अरोड़ा रॉबर्ट वाड्रा की विदेश में अघोषित संपत्ति के बारे में जानता है और इन संपत्तियों को हासिल करने के लिए धन मुहैया कराने में भूमिका निभाई थी।
ईडी के मुताबिक लंदन में वाड्रा की करीब 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड की संपत्ति के लिए दुबई से पैसे का इंतजाम किया गया था। लंदन की ये संपत्ति 12, ब्रायनस्टोन स्क्वायर में स्थित है। इस संपत्ति को संजय भंडारी 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड में खरीदी थी और उसे 2010 में 1.9मिलियन ब्रिटिश पाउंड में ही बेच दी थी। जबकि भंडारी ने 65900 ब्रिटिश पाउंड इसके रेनोवेशन पर खर्च कर चुका है। इसका साफ मतलब है कि उस संपत्ति का असली मालिक भंडारी नहीं था बल्कि रेनोवेशन का खर्च वाड्रा ने वहन किया था।