पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरणीय बदलाव पर शोध की जरूरत: राज्यपाल मौर्य

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पंतनगर, उत्तराखण्ड की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने कहा कि, “वैश्वीकरण के युग में शिक्षा व शोध क्षेत्रों में आए बदलावों के अनुरूप पंतनगर विश्वविद्यालय को अपने विभिन्न कार्यक्रमों का पुनर्वालोकन व प्राथमिकताओं का पुनर्निधारण करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रहे पर्यावरण परिवर्तन के परिणामस्वरूप यहां की पारिस्थितिकी, फसलों, जीवों इत्यादि पर पड़ने वाले प्रभावों व परिवर्तनों पर शोध करना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।”

विश्वविद्यालय आडिटोरियम के गांधी हाॅल में उत्तराखण्ड की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने पंतनगर विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस दौरान राज्यपाल ने सर्वप्रथम उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। साथ ही विद्यार्थियों से दीक्षान्त समारोह में ली गई शपथ को जीवन में उतारने के लिए कहा।

राज्यपाल मौर्य ने प्रगतिशील कृषक पद्मश्री भारत भूषण त्यागी को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से विभूषित किया। तत्पश्चात उन्होंने पीएचडी व अन्य पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। सर्वोत्तम स्नातक को कुलाधिपति के स्वर्ण पदक व विभिन्न पाठ्यक्रमों के उत्तम विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक भी प्रदान किए।

राज्यपाल मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड की विशिष्ट फसलों को पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों के लिए वैश्विक स्तर पर जाना जाता है। इन फसलों के उत्पादन को बढ़ाकर किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना भी वैज्ञानिकों के शोध का विषय होना चाहिए। वर्तमान में प्राकृतिक संसाधनों में लगातार हो रही कमी, घटती कृषि भूमि तथा प्रदूषित एवं परिवर्तित हो रहा पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती हैं, इनके समाधान ढूंढने के लिए हमारे वैज्ञानिक तैयार हैं। खेती में बढ़ती लागत को कम करने के लिए पारंपरिक खेती के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन को जोडने व जैविक खेती को बढ़ावा देने का उन्होंने सुझाव दिया।

मृदा गुणवत्ता, मृदा संरचना और पर्यावरण में सुधार की ओर भी कार्य करने की उन्होंने आवश्यक्ता बताई। उन्होंने विश्वविद्यालय की वरिष्ठता को बार-बार साबित करते रहने व उसके लिए सतत प्रत्यनशील रहने के लिए कहा।