(देहरादून) देहरादून के जीआरडी वर्ल्ड स्कूल में बीते माह 16 अगस्त को स्कूल की ही छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ। करीब सवा महीने बाद मामला प्रकाश में आया। मामले में स्कूल प्रबंधन के छह लोगों को गैंगरेप के साक्ष्य छिपाने और आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया। प्रदेश के शिक्षा विभाग से लेकर सीबीएसई के देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय तक ने स्कूल की एनओसी और बोर्ड से मान्यता रद्द किए जाने की संस्तुति की। लेकिन, इसके बाद भी सात दिनों से सीबीएसई दिल्ली मुख्यालय हरकत में नहीं आया। इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या लाचारी। या फिर दिल्ली मुख्यालय नजीर पेश करने की जगह एक ओर बड़ी घटना के इंतजार में है?
संस्तुति के बाद भी कार्रवाई में देरी
सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के बेलगाम निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के तमाम हथकंडे पहले ही फेल साबित हो रहे थे। लेकिन, अब बोर्ड की मशीनरी को भी ठप साबित हो रही है। आलम यह है कि गैंगरप मामले में खुद सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय और शिक्षा विभाग के स्कूल की मान्यता रद्द किए जाने की संस्तुति के बाद भी सीबीएसई दिल्ली मुख्यालय ने अभी तक कार्रवाई नहीं की। स्कूल में घटी घटना सामने आने के बाद और शिक्षा विभाग के निरीक्षण में मानकों की अनदेखी को लेकर अभिभावक संघों और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य तक ने एनओसी वापस लेने और मान्यता खत्म करने के लिए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर स्कूल को राज्य सरकार की ओर से दी गई एनओसी वापस लेने के साथ ही सीबीएसई को भी मान्यता खत्म करने के लिए पत्राचार करने की सिफारिश की है। जिसके बाद सरकार की ओर से भी एनओसी वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
बोर्ड की कार्यशैली पर लग रहे सवालिया निशान
पूरा मामले में स्कूल प्रबंधन के दोषी पाए जाने के बाद भी मुख्यालय स्तर से कोई कार्रवाई न होना अब बोर्ड की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा रहा है। हालांकि सीबीएसई देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह का कहना है कि स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए दिल्ली मुख्यालय को पत्र भेजा जा चुका है। इसके अलावा एफिलिएशन को लेकर जमा किए गए दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। दस्तावेजों की जांच में यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो दिल्ली बोर्ड को इसकी भी जानकारी देते हुए त्वरित कार्यवाही का आग्रह किया जाएगा। बोर्ड जल्द ही ठोस कदम उठागा।
सरकार नहीं गंभीर
नेशनल एसोसिएशन फोर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रिय अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की संलिप्तता सामने आई। एक नाबालिग छात्रों से गैंगरेप का राजधानी में यह अकेला मामला है। ऐसे में इस मसले पर राज्य सरकार को भी गंभीरता दिखानी चाहिए थी। मामले में एनओसी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है। स्कूल ऐसे फर्जीवाड़े न कर सकें इसके लिए सरकार कतई गंभीर नहीं है। दूसरी ओर सीबीएसई की बात करें तो बोर्ड स्कूल में पढ़ने वाले सैंकड़ों बच्चों को कहां शिफ्ट करें इसे लेकर असमंजस में हो सकता है। जिस कारण देरी हो रही है। हालांकि, कार्यशैली की बात करें तो अधिकतर मामलों में क्षेत्रीय सीबीएसई कार्यालय पल्ला छाड़कर दिल्ली मुख्यालय पर बात डाल देता है। वहीं, दिल्ली मुख्यालय भी कुछ इसी प्रकार करता है। जबकि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए क्षेत्रीय कार्यालय और दिल्ली मुख्यालय दोनों को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए थी। इससे बाकी स्कूलों को भी नियमों का पालन करने के लिए दबाव बनेगा।
स्कूल की एनओसी होगी निरस्त
वहीं, मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह के मामलों को लेकर बेहद संवेदनशील है। इसलिए तुरंत कार्रवाई की गई। स्कूल की मान्यता रद करने के लिए सीबीएसई मुख्यालय को पत्र भेज दिया है। स्कूल का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी निरस्त किया जाएगा। यह प्रक्रिया है और तभी इसमें वक्त लग रहा है। एक बात यह भी सामने आई है कि स्कूल ने अनापत्ति प्रमाण पत्र व मान्यता को लेकर बड़ा गोलमाल किया है। किसी अन्य विद्यालय की मान्यता पर यहां बच्चे पढ़ाए जा रहे थे। इस पहलू की भी जांच की जाएगी।