करोड़ों की  लागत से बने बायो टॉयलेट  बने नगर निगम ऋषिकेश की लापरवाही से शो पीस

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ऋषिकेश,उत्तराखंड की सरकार नगर निकाय और निगमों को ओ.एफ.डी मुक्त करने के जितने भी प्रयास कर रही है उसे नगर निगम ऋषिकेश पलीता लगाए जा रहा है,यह है ऋषिकेश की ट्रिब्यूटरी चंद्रभागा नदी जिसकेे किनारे 5 महीने पहले नगर पालिका ऋषिकेश में दो बायो टॉयलेट्स लगाए गए थे जिन पर 5 माह बीतने के बाद भी आज भी ताला जड़ा हुआ है और खुले में शौच मुक्त करने का जो सपना है वह लगातार हर रोज टूटता जा रहा है।

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जब इस बाबत नगर निगम के अधिकारी महेंद्र कुमार से बात करी गयी तो उनका कहना था कि, “अभी इन बायो टॉयलेट में बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं हो पाया है जिसके चलते इनको शुरू नहीं किया जा सका।” लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि नगर निगम की लापरवाही से करोड़ों की लागत से बने दो टॉयलेट को 5 महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी क्यों लावारिस की स्थिति में छोड़ा हुआ है.

वही जनता के पैसों से बने इन टॉयलेट्स के शुरू ना होने पर जनप्रतिनिधि और आम जनता में गुस्सा है उनका कहना है कि नगर पालिका प्रशासन ने यहां के पुराने टॉयलेट तोड़ दिया है और यह नए बनाए हैं जिनमें कई महीनों से ताला लगा हुआ है जिसके चलते आम जनता को खुले में शौच जाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है और सरकारी अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड को खुले में शौच मुक्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही लेकिन अधिकारी स्वच्छता अभियान को सिर्फ कागजों तक ही सीमित रखते हैं और ऋषिकेश में करोड़ों की लागत से बने यह टॉयलेट्स इस कड़वी सच्चाई का जीता जागता नमूना है.