कहते है कला का कोई रूप नहीं होता ,कलाकार जिस को भी हाथ लगा दे वह निखर कर दिल को सकुन पहुंचा देती है कुछ इसी तरह की पहल ऋषिकेश में युवा कलाकारों ने शुरू की है, जिस से यहाँ आने वाले सैलानियों को ऋषिकेश की दीवारें अब कुछ बदली बदली नजर आ रही है।
तीर्थनगरी ऋषिकेश को चार धाम यात्रा का प्रवेस द्वार कहा जाता है,यहाँ साल भर बड़ी संख्या में देशी -विदेशी पर्यटक आते है लेकिन यहाँ आने वालो को साफ सफाई के साथ साथ कुछ कमी खलती थी। मंदिरो के इस शहर में कला खूबसूरती की तलाश में आये पर्यटकों की इस कमी को पूरा करने के लिए यहां के कुछ युवायों ने एक पहल शुरू की है। इन युवायों ने तीर्थनगरी की दीवारें पर स्ट्रीट आर्ट के जरिये यहां की संस्कृति दिखाने की कोशिश की है, खाली दीवारों पर रंग और कला का जादू ऐसा बिखेरा की आज ये दीवारें हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
ऋषिकेष हमेशा से ही देसी-विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान रहा है, यहाँ हर साल बड़ी संख्या में दुनिया के कोने कोने से पर्यटक आते है। इन युवा कलाकरों की माने तो उन्होंने अपनी कला के जरिये इस छेत्र में एक पर्यावरण – ग्रीन क्लीन का सन्देश भी दिया है ओर वो उम्मीद करते है कि इन दीवारों पर कोई गंदगी न करे – शहरों को साफ़ और पर्यावरन को मजबूत करने के लिए कला का सहारा लेना एक अच्छा प्रयोग है जिस से दिल को सकूँन और आँखो को सुंदरता का बोध होता है, ऐसे में सड़को पर जगह जगह गंदगी करने वालो को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। ऋषिकेश का ये नया नजारा अब कुछ यही सन्देश दे रहा है