राजस्व पुलिस के स्थान पर सामान्य पुलिस की स्थापना सराहनीय : ऋतु खंडूरी भूषण

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मुख्यमंत्री के उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने की शुरुआत को लेकर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने इस फैसले की सराहना करते हुए स्वागत किया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड में चरणबद्ध तरीके से राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई। इसके तहत पहले चरण में पुलिस थानों से सटे राजस्व क्षेत्रों को सिविल पुलिस क्षेत्र में शामिल किया जाएगा। इसके बाद दूसरे क्षेत्रों को लिया जाएगा।

सरकार ने पहले चरण में राजस्व क्षेत्र में 6 नए थाने और 20 चौकियां खुलने का निर्णय लिया गया है जिसमें पौड़ी के अंतर्गत यमकेश्वर में भी थाना खुलने जा रहा है। इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने राज्य सरकार का विशेष आभार व्यक्त किया है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने कहा कि वह यमकेश्वर से पहले विधायक रही है और यहां पर थाना या चौकी ना होने से स्थानीय लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा की सरकार के इस फैसले से कानून व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। अपराधों में भी कमी आएगी। राजस्व क्षेत्र में ग्रामीणों को अब समय पर न्याय मिलेगा।

गौरतलब है कि अंकिता हत्याकांड के बाद उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने ही सर्वप्रथम राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने की बात कही थी, जिसको लेकर उन्होंने 24 सितंबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त कर सामान्य पुलिस को जिम्मेदारी दिए जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जहां कहीं भी राजस्व पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है। इसे तत्काल समाप्त कर सामान्य पुलिस बल के थाने/ चौकी स्थापित किए जाने की नितांत आवश्यकता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज के आधुनिक युग में जहां सामान्य पुलिस विभाग में पूरे देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में पीड़ित जीरो एफआईआर दर्ज कराकर अपनी शिकायत पंजीकृत करा सकता है। ऋषिकेश शहर से मात्र 15 किमी की दूरी पर राजस्व पुलिस जिसके पास पुलिस के आधुनिक हथियार और जांच हेतु किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है, वे जांच कर रहे हैं। यह जानकर अत्यन्त ही पीड़ा होती है। गंगा भोगपुर में यदि सामान्य पुलिस बल कार्य कर रहा होता तो निश्चित रूप से अंकिता भंडारी आज हमारे मध्य होती।