ऋषिकेश। धर्म नगरी ऋषिकेश में इन दिनों सड़क हादसों के आंकड़ों में इजाफा होता जा रहा है। हेलमेट अभियान को लागू करने में नाकाम रहा स्थानीय प्रशासन यातायात नियमों का अनुपालन कराने में भी असफल साबित होता रहा है।
पिछले वर्ष नगर एवं यहां से सटे ग्रामीण इलाकों में हुए सड़क हादसों मे करीब अस्सी फीसदी स्कूल-कॉलेज के छात्र अकाल मौत का ग्रास बने हैं। विडंबना यह भी है कि अधिकांश सड़क दुघर्टनाओं में लापरवाही से की गई ड्राइविंग ही मुख्य वजह साबित होती रही है। यहां का प्रबुद्ध समाज बेकाबू रफ्तार के साथ सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक और अतिक्रमण के चलते सड़कों की कम होती चौड़ाई को भी सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार बताता रहा है।
नगर में हरिद्वार रोड, देहरादून रोड, लक्ष्मण झूला मार्ग पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे देखने को मिलते रहे हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में श्यामपुर रेलवे फाटक से रायवाला के मध्य और ऋषिकेश -देहरादून मार्ग पर रानी पोखरी से पहले सात मोड़ पर सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं का लोग शिकार होते हैं। नए वर्ष के आगाज के साथ वर्ष का पहला माह भी बीतने को है, लेकिन सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन के पास फिलहाल कोई रणनीति नजर नही आ रही। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि हादसों पर अंकुश लगे तो फिर लगे केसे ?
क्या कहते हैं अधिकारी
एआरटीओ डॉ. अनीता चमोला का कहना है कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए समय-समय पर वाहन चालकों की कार्यशाला चलाई जाती है। इसमें चालकों को ड्राइविंग संबंधी आवश्यक सूचनाओं के साथ दुर्घटनाओं के संबंध में बताया जाता है। उसके बावजूद हो रही दुर्घटनाएं चिंता का विषय है। इस पर रोकथाम के लिए विभाग की ओर से भी कार्रवाई की जाती है।