गुलाब : घर-आंगन की बढ़ाये शोभा, छह लाख तक प्रति हेक्टेयर की कमाई के साथ

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कहीं भी उगा सकते हैं गुलाब, हो जाएंगे मालामाल

किसी का स्वागत करना हो या देवताओं को चढ़ाना हो हर जगह गुलाब के फूल का महत्व है। आज हर रंग में गुलाब का फूल उपलब्ध है। गुलाब की खेती सहफसली के रूप में भी किया जा सकता है। किसी भी फसल के मेड़ों पर या घरों में भी लगाकर इससे आमदनी की जा सकती है। गुलाब का बाजार हर जगह उपलब्ध है बिचौलिए खेत ही से इसे उठा लेते हैं। गुलाब की खेती से किसान एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च कर छह लाख रुपये तक शुद्ध लाभ कमा सकते हैं।

कई रोगों में आता है काम
गुलाब का फूल कई रोगों में भी काम आता है। अनिद्रा की स्थिति में गुलाब का फूल सिर के पास रखकर सोने से समस्या दूर हो जाती है। मसूड़े और दांत मजबूत करने के साथ ही मुंह का बदबू दूर करने, पायरिया की स्थिति में भी यह फायदेमंद होता है। होठों को गुलाबी और चिकने बनाने के लिए इसकी पत्तियों में ग्लिसरीन डालकर पीसकर लगाएं तो फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन सी की मात्रा अधिक पाये जाते हैं और इससे बना गुलकंद खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। रोजाना एक गुलाब खाने से टीबी रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है। इसे ‘पुष्प सम्राट’ की  संज्ञा दी गई है और ‘गुले-आप’, यानी फूलों की रौनक भी कहा गया है।

अधिकांश प्रदेशों में होती है खेती

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान ‘सीमैप’ लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाक्टर रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि, “गुलाब के फूल डाली सहित या कट फ्लावर तथा पंखुड़ी फ्लावर दोनों तरह के बाजार में व्यापारिक रूप से पाये जाते हैंI गुलाब की खेती मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्रा प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश (लखनऊ, कानपुर, बांदा, बाराबंकी, लखीमपुर सहित अधिकांश जिलों में) में अधिक की जाती है।”

20 हजार से अधिक गुलाब की किस्मे

 सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई मनोज सेमवाल ने बताया कि, “गुलाब एक भारतीय पुष्प है। इसका कलम करके कई रंगों में उगाया जाता है। यह जितना सुन्दर है, उससे ज्यादा इसमें औषधीय गुण भी पाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि गुलाब की किस्मों की संख्या लगभग 20 हजार से अधिक है। सीमैप की किस्में चैती गुलाब, सगंध गुलाब और दमश्क गुलाब की खेती किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद है।”

हर रंग में है गुलाब का फूल, पौधे को धूप जरूरी
गुलाब सफ़ेद गुलाब हैं तो पीले, लाल, नारंगीलाल, रक्त्लाल, गुलाबी लेवेंडर रंग के दोरंगे, तींरंगे और यहाँ तक कि अब तो नीले और काले रंग के गुलाब भी पाए जाते हैं। गुलाब को उगाने के लिए धूप का होना आवश्यक है। दिन में कम से कम छह से आठ घंटे की खुली धूप होनी चाहिए।

गुलाब के खेतों की तैयारी
उन्होंने बताया कि, “इसकी खेती के लिए 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसके पश्चात क्यारियां बनाते हैं और उनमें एक मीटर, एक मीटर की दूरी पर 50,50 सेमी के गड्ढे में पौधों की रोपाई जुलाई अगस्त में करनी चाहिए। इसकी रोपाई अक्टूबर-नवम्बर या जनवरी माह में भी किया जाता है। रोपाई के लिए प्रति गड्ढे छह से आठ कलमों का प्रयोग करते हैं।”

खाद का प्रयोग
सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज सेमवाल ने बताया कि, “प्रथम वर्ष 150 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फास्फोरस तथा 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद आने वाले वर्षों में 90 किलो नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किग्रा पोटाश का प्रयोग करना लाभकारी होता है।”

कटाई-छटाई करें अक्टूबर माह में
गोंडा मंडल के उप निदेशक उद्यान, अनीस श्रीवास्तव ने बातचीत में बताया कि, “मैदानी भागों में कटाई-छटाई के लिये अक्टूबर माह अच्छा होता है। पौधे में तीन से पांच मुख्य टहनियों को 30 से 40 सेंटीमीटर रखकर कटाई की जाती है, जहां आंख हो वहां से पांच सेंटीमीटर ऊपर से कटाई करनी चाहिएI कटे हुए भाग को कवकनाशी दवाओं से जैसे कि कापर ऑक्सीक्लोराइड, कार्बेन्डाजिम, बोर्डोमिश्रण या चौबटिया पेस्ट का लेप लगना आवश्यक होता है।”

कीट से रहें सावधान, करें दवा का छिड़काव
उप निदेशक उद्यान ने बताया कि, “गुलाब में दीमक, माहू एवं सल्क कीट लगते हैंI दीमक के नियंत्रण हेतु सिंचाई करनी चाहिए तथा फोरेट 10 जी. तीन से चार ग्राम या फ़ालीडाल 2% धुल 10 से 15 ग्राम प्रति पौधा गुड़ाई करके भूमि में अच्छी तरह मिला देना चाहिएI माहू तथा सल्क कीट के दिखने पर डाई मिथोएट 1.75 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में या मोनोक्रोटोफास एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए।”