रुद्रपुर, आईएमए के आह्वान पर जिले के सभी निजी डाक्टरों ने मंगलवार को 12 घंटे ओपीडी ठप रखकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। डाक्टर एमसीआई को भंग करके एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) लाने का विरोध कर रहे थे। डाक्टरों का कहना था कि एनएमसी से चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी और उपचार भी महंगा हो जाएगा। कहा कि सरकार को हिन्दुस्तान की शिक्षा पर भरोसा नहीं है।
आईएमए के आह्वान पर जिला मुख्यालय समेत जिले भर के डाक्टरों ने मंगलवार को ओपीडी ठप रख कर एनएमसी का विरोध जताया। एनएमसी के विरोध में देश भर के डाक्टरों ने बीती छह जून को दिल्ली में धरना देकर विरोध जताया था। आईएमए के मीडिया प्रवक्ता डा. राजीव सेतिया ने बताया कि एनएमसी बिल पारित होने के बाद प्राइवेट मेडिकल कालेजों को यह अधिकार होगा कि वह सीटें अपनी मर्जी से बढ़ा सकते हैं। सरकार सिर्फ 40 फीसदी मेडिकल सीटों का शुल्क तय करेगी। शेष सीटों के शुल्क को तय करने का अधिकार प्राइवेट स्कूलों को होगा। उन्होंने आशंका जताई कि प्राइवेट मेडिकल कालेजों का हाल इंजीनियरिंग कालेजों की तरह होगा।
एनएमसी में यह व्यवस्था होगी कि मेडिकल कालेज में किसी भी कमी पर पांच करोड़ देकर प्रबंधन छूट जाएगा। यह धनराशि वह मेडिकल के छात्रों से वसूल करेगी। एनएमसी में सिर्फ पांच राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा। राज्य के प्रतिनिधि सिर्फ सलाहकार की भूमिका में होंगे। उनके सारे अधिकार छिन जाएंगे।
डा. सेतिया ने बताया कि एनएमसी में क्रास पैथी का घालमेल होगा। सरकार ने यह व्यवस्था की है कि मार्डन मेडिशन के लिए किसी भी पद्धति से शिक्षा पाए डाक्टर तीन महीने का ब्रिज कोर्स करके प्रैक्टिस करने का अधिकार होगा। मसलन होम्योपैथी अथवा आयुर्वेदिक पद्धति के डाक्टर एलोपैथी का दवाएं लिख सकेंगे। कहा कि ऐसे में सालों पढ़ाई करके एमबीबीएस करने वाले और होम्योपैथी से पढऩे वाले एक ही श्रेणी में खड़े होंगे तो चिकित्सा का स्तर कहां पहुंच जाएगा।