देहरादून। सीएसडी कैंटीन से खरीद की मात्रा संबंधी नियम को सख्त कर दिया गया है। इसका कड़ाई से पालन किया जाए, इसलिए कैंटीन भंडार विभाग (सीएसडी) ने आर्मी एरिया और ऑर्डनेंस फैक्ट्री इस्टेट में चल रहीं यूनिट कैंटीन के सॉफ्टवेयर में परिवर्तन कर दिया है। सॉफ्टवेयर जितनी मात्रा दिखाएगा उससे अधिक साबुन, तेल, शैम्पू और कॉस्मैटिक आदि खरीदना मुमकिन नहीं होगा।
रक्षा मंत्रालय ने एएफडी और नॉन एएफडी कोटा के तहत अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए मासिक सीमा तय कर रखी है। इससे अधिक राशि का ग्रोसरी आइटम वह नहीं ले सकते। नॉन एएफडी आइटम के तहत एक जनवरी 2015 से सीमा को तय किया गया था। इसमें कमिशंड अफसर और बराबर की रैंक के अधिकारी के लिए 11 हजार रुपए प्रतिमाह। अलग-अलग रैंक में जेसीओ को भी 8 से 11 हजार और दूसरी रैंक के अधिकारियों के लिए 5 हजार 5 रुपए कोटा तय है। डिफेंस सिविलियन कर्मचारी जो पे बैंड 3 एवं 4 में आते हैं, उन्हें भी 11 हजार रुपए कीमत की चीजें खरीदने की पात्रता है। पे बैंड एक एवं दो के लिए क्रमश: 8 हजार एवं 5 हजार 500 रुपए मासिक कोटा फिक्स है। इसी तरह एएफडी आइटम भी है। इसकी सीमा सालाना 55 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक है। सामान्यत: इसमें 750 रुपए से ज्यादा कीमत की चीजों को शामिल किया जाता है।
15 चीजें की गई शामिल
सेना मुख्यालय के हालिया सर्रकुलर में ग्रॉसरी से संबंधित 48 चीजें शामिल हैं। जबकि एएफडी आइटम की सूची में 15 चीजें शामिल की गई हैं। कैंटीन सर्विसेज डायरेक्ट्रेट की क्वार्टर मास्टर जनरल ब्रांच ने तीनों सेनाओं के कमांड मुख्यालय, असम राइफल्स महानिदेशालय, एनसीसी हेडक्वाटर, डीआरडीओ मुख्यालय, कोस्ट गार्ड हेडक्वाटर व डीजबीआर हेडक्वाटर को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आगामी 31 मार्च से सॉफ्टवेयर अपडेट होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
नए सॉफ्टवेयर के बिना नहीं मिलेगी ग्रॉसरी
गाइडलाइन के अनुसार कैंटीन भंडार विभाग से संबंधित यूनिट रन कैंटीन को तब तक ग्रॉसरी उपलब्ध नहीं होगी जब तक कि कैंटीन में नया साफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं हो जाता है। मई तक सभी कैंटीनों में साफ्टवेयर अपडेट हो जाएगा।
शिकायत के बाद लिया निर्णय
बाजार की तुलना में सीएसडी कैंटीन से मिलने वाले सामान का मूल्य बहुत कम होता है। पिछले कुछ समय से इस तरह की शिकायतें मिली कि इस रियायत का दुरुपयोग हो रहा है। सीएसडी कैंटीन से रियायती दर पर सामान खरीद कर खुले बाजार (दुकानों) में अधिक मूल्य पर ब्रिकी होने की शिकायत भी मिल रही थी। ऐसे में सेना मुख्यालय ने सॉफ्टवेयर में परिवर्तन कर पहले की अपेक्षा सामान में कुछ कटौती भी कर दी है।