विदेशी मेहमानों के नहीं पहुंचने पर वैज्ञानिक चिंतित

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हरिद्वार, ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं। साल 2002 तक हरिद्वार में प्रवासी पक्षियों का आना जाना था, लेकिन बदलते पर्यावरण की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं। हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विलुप्त हो रहे पक्षियों पर शोध चल रहा है।
एक समय था जब शीतकाल शुरू होते ही हरिद्वार के गंगा घाटों पर चीन, मध्य एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया, रूस के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता था। इससे गंगातटों की रौनक बढ़ जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से प्रवासी साइबेरियन क्रेन का आना जाना बंद हो गया है। जाने माने पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का कहना है कि इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज बड़ी वजह है।
प्रोफेसर दिनेश भट्ट का मानना है कि जिस ओर से साइबेरियन क्रेन पक्षी आते थे उसी मार्ग पर अफगानिस्तान भी पड़ता है। अफगानिस्तान में लगातार लड़ाईयां होती रहीं और अफगानिस्तान में कबीलाई इस क्षेत्र में खानाबदोश हैं, उनको इस पक्षी के रूप में आहार मिल जाता है। कबीलाइयों ने पक्षियों की इस प्रजाति को काफी हानि पहुंचाई है। उन्होंने बताया कि इस पक्षी को आहार के रूप में अच्छा माना जाता है। साइबेरियन क्रेन के विलुप्त होने का यह भी एक बड़ा कारण है।