राजनीति: हारे हुए दिग्गजों का छोटी कुर्सी पर दांव

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उत्तराखंड में सियासत में हारे हुए दिग्गजों को नगर निकायों की अपेक्षाकृत छोटी कुर्सी भी अपनी ओर खींच रही है। ये अलग बात है कि ये छोटी कुर्सी कभी उन्हें नसीब हो जा रही है और कभी उनके हाथ से वो थी छिटक जा रही है। ताजा मामला रुड़की नगर निगम के मेयर पद के चुनाव से जुड़ा है। बसपा के टिकट से यहां हरिद्वार के पूर्व सांसद राजेंद बाडी चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई के बीच बसपा के राजेंद्र बाडी कितने प्रभावशाली साबित हो पाते हैं, ये देखने वाली बात होगी।
रुड़की में मेयर पद का चुनाव लड़ रहे हैं पूर्व सांसद राजेंद्र बाडी
देहरादून के मेयर का चुनाव लड़ चुके हैं पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में राजेंद्र बाडी समाजवादी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार से सांसद निर्वाचित हुए थे। उस वक्त बाडी की जीत ने सभी को आश्चर्य में भर दिया था, क्योंकि सपा का उत्तराखंड में कभी ठोस आधार नहीं रहा है। इसके बाद, वह फिर कभी नहीं जीत पाए और सियासी तौर पर हाशिये पर पहुंच गए। अब बसपा के टिकट पर उन्होंने रुड़की के मेयर पद के लिए ताल ठोक दी है।
वैसे, यह पहला उदाहरण नहीं है, जबकि बड़ी कुर्सी संभाल चुके दिग्गज ने छोटी कुर्सी के लिए प्रयास किया है। 2018 के नगर निकाय चुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ऐसा कर चुके हैं। हरीश रावत सरकार में वन मंत्री रहे अग्रवाल 2017 के विधानसभा चुनाव में धर्मपुर सीट से चुनाव हार गए थे। 2018 में नगर निकाय के चुनाव हुए, तो उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दूून के मेयर का चुनाव लड़ा, हालांकि वह जीत नहीं पाए।
इससे पहले, पौड़ी जिले से भी इस तरह का एक उदाहरण रहा है, जब विधायक रह चुके यशपाल बेनाम ने नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। बेनाम पौड़ी विधानसभा सीट से 2007 में निर्दलीय बतौर चुनाव लडे़ थे और विधायक बन गए थे। इसके बाद, वह विधानसभा का कोई चुनाव नहीं जीत पाए। वर्ष  2018 में वह भाजपा के टिकट पर पौड़ी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का चुनाव लडे़ और उन्हें जीत हासिल हो गई।