कांवड़ मेला अपने चरम पर है। आधे से ज्यादा कांवड़ मेला बीत चुका है। पंचक समाप्त होने के बाद मेला अब अपने शबाब पर चढ़ता जा रहा है। प्रशासन ने मेले में सुरक्षा के साथ सफाई व्यवस्था पुख्ता होने के भी दावे किए हैं। इसके साथ ही 1 जुलाई से प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक को भी प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके बावजूद सिंगल यूल प्लास्टिक का प्रयोग धड़ल्ले से तीर्थनगरी में किया जा रहा है।
प्रशासन सिंगल यूज प्लास्टिक रोकने के संबंध में किए गए अपने प्रयासों में पुरी तरह से विफल नजर आ रहा है। हर तरफ प्लास्टिक की केन, पन्नी आदि के ढेर लगे नजर आ रहे हैं। यह आलम तब है जब मेला शुरू होने से पहले प्रशासन ने क्विंटलों प्लास्टिक का सामान व्यापारियों से जब्त किया था। जब से मेला शुरू हुआ है तब से प्रशासन ने उस तरफ से भी आंख बंद कर ली हैं। हरिद्वार में दुकानदार खुल कर प्लास्टिक का सामान बेच रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर कभी-कभी छोटा मोटा चालान काट दिया जा रहा है।
गंगा घाटों पर प्लास्टिक की बिछाने की पन्नी और रेन कोट आवाज देकर बेचे जा रहे हैं, जिसका प्रयोग करने के बाद कांवड़िये उन्हें जहां-तहां फेंककर गंदगी काे बढ़ावा दे रहे हैं। यहां तक की 1 जुलाई को प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगने के बाद शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने हरिद्वार पहुंचकर बांस की पानी की बोतल और चटाई जैसे उत्पादों के स्टॉल का उद्घाटन किया था। कहा जा रहा था कि कि आने वाले कांवड़ मेले में प्लास्टिक की जगह ये ही समान हरिद्वार में बिकेगा और प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन रहेगा लेकिन ये बात सिर्फ हवाई निकली। हरिद्वार में इस तरह के उत्पाद कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। प्लास्टिक बैन को लेकर सरकार के आदेश केवल मजाक बनकर रह गए हैं।