देहरादून। श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज अब राज्य सरकार के अधीन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शुक्रवार को हस्तांतरण की कार्रवाई की गई। कॉलेज की तमाम चल-अचल संपत्ति सरकार के सुपुर्द हो गई। प्रशासन और चिकित्सा शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने सुभारती मेडिकल कॉलेज में तमाम प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार कब्जे में ले लिए। टीम ने सुभारती प्रबंधन की कोल्हू पानी और झाझरा स्थित संपत्तियों को भी सील कर दिया। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. नवीन थपलियाल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को सुभारती मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
गुरुवार को प्रशासन और पुलिस की टीम ने सुभारती मेडिकल कॉलेज का लेखा विभाग सील किया था। शुक्रवार सुबह एसडीएम विकासनगर जितेंद्र कुमार और चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नवीन थपलियाल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इस दौरान अधिकारियों ने कॉलेज में फैकल्टी, स्टाफ व तमाम अवस्थापना का ब्यौरा लिया। चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने बताया कि कॉलेज के पास पर्याप्त डॉक्टर और स्टाफ है। एमसीआई की ओर से लगाई गई आपत्तियों का ब्यौरा तलब किया गया है। जिन्हें अगले कुछ वक्त में दूर कर लिया जाएगा। अस्पताल पूर्व की तरह ही चलता रहेगा। मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं आने दी जा रही है। कॉलेज की संबद्धता को लेकर एचएनबी उत्तराखंड मेडिकल यूनिवर्सिटी से बात की गई है। अब प्राचार्य की तरफ से एक औपचारिक पत्र विश्वविद्यालय को भेजा जाएगा। जिसके बाद संबद्धता की कार्रवाई की जाएगी। यह प्रयास किया जा रहा है कि तमाम औपचारिकताएं जल्द निपटा ली जाएं। कॉलेज के हस्तांतरण की सूचना महाधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को दे दी गई है।
साढ़े चार सौ कर्मचारी हैं कार्यरत
श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज में तकरीबन साढ़े चार सौ कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें रजिस्ट्रेशन एवं बिलिंग काउंटर, अस्पताल, रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। यह कर्मचारी भी अब अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। उन्हें इस बात का डर है कि राज्य सरकार कहीं नए सिरे से नियुक्ति न करे। जिस पर चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने स्पष्ट किया कि किसी भी फैकल्टी या स्टाफ को निकाला नहीं जा रहा है। इनके वेतन आदि के विषय में शासन से दिशा-निर्देश मांगे जा रहे हैं।
एमबीबीएस से अलग कई अन्य कोर्स हो रहे संचालित
कॉलेज अब तक रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के अधीन था। कॉलेज परिसर में एमबीबीएस के अलावा भी कई अन्य कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इन्हीं में एक केसरी चंद सुभारती इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी भी है। मेडिकल कॉलेज सरकार के अधीन हो जाने के बाद अब फार्मेसी समेत अन्य पाठ्यक्रम के छात्र भी मुखर होने लगे हैं। आशंकित छात्रों ने शुक्रवार को बैठक भी की। उनके मन में तमाम सवाल थे, पर प्रबंधन की ओर से इनका जवाब देने के लिए कोई मौजूद नहीं है।
प्रबंधन कर रहा था खेल
कॉलेज की मुख्य बिल्डिंग के बाहर फार्मेसी समेत कुछ अन्य पाठ्यक्रम के छात्र इकट्ठा थे। मेडिकल कॉलेज के हस्तांतरण के बीच उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। इनमें एक छात्र ने बताया कि जब कभी एमसीआई की टीम आती थी, उन्हें कहा जाता था कि कॉलेज यूनिफार्म में नहीं आना है। कई बार पैरामेडिकल छात्रों को फर्जी ढंग से कर्मचारी दिखाया गया। यहां तक बताया गया कि एमसीआई की टीम आने और उसके लौटने के बाद यहां कई स्तर पर बदलाव किए जाते रहे हैं। छात्रों का कहना था कि मेडिकल कॉलेज सरकार को हस्तांतरित हो गया है, पर कई अन्य स्तर पर भी खामियां हैं। द्वितीय वर्ष के छात्रों ने इस बात पर भी संदेह जताया कि पैरामेडिकल कोर्स को काउंसिल से मान्यता भी है या नहीं। राज्य सरकार एमबीबीएस के छात्रों के विस्थापन की बात कर रही है, पर उनकी तरफ किसी का ख्याल नहीं है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ मेडिकल कॉलेज के संदर्भ में आदेश दिए हैं। अन्य कोर्स रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के अधीन संचालित होते रहेंगे। उधर, उत्तराखंड पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राणा ने बताया कि विवि में संचालित फार्मेसी कोर्स की मान्यता दी गई है। इसे लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए