हरिद्वार। प्रदेश सरकार के मनमाफिक निर्णय और निजी स्कूल प्रबन्धकों, संचालकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई के विरोध में उत्तराखंड के निजी स्कूल 27 जनवरी को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। निजी स्कूलों की हड़ताल से पठन-पाठन का कार्य प्रभावित हुआ। इससे पूर्व बैठक कर संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया गया था।
संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से 23 जनवरी को सैंट माक्र्स एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल रुड़की में एक बैठक का आयोजन किया गया था। संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति के संरक्षक कुंवर जावेद इकबाल ने कहा कि निजी स्कूलों का शोषण किया जाने लगा है। किसी छात्र-छात्रा के साथ कोई दुर्घटना होने पर स्कूल संचालकों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जबकि घटना की वास्तविक जांच को कराना मुनासिब नहीं समझा जाता है। जिससे स्कूल संचालकों में रोष है। प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कहा कि नई दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश में घटित कई घटनाओं में विद्यालय प्रबंधकों के खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होते हैं और बच्चों के भविष्य का निर्माण करते है। लेकिन, सरकार के नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी निजी स्कूलों को अच्छी नजर से नहीं देखते हैं। किसी दुर्घटना की स्थिति में सत्य की पड़ताल किए बिना ही स्कूल प्रबंधकों को आरोपित कर दिया जाता है। जो कि सरकार की गलत मंशा और निजी स्कूलों के प्रति द्वेष भावना को जाहिर करता है। हड़ताल के चलते सीबीएससी, आईसीएससी, उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड से सम्बद्ध समस्त विद्यालयों ने सरकार की कार्यशैली के खिलाफ हड़ताल की। हालांकि, हड़ताल सफल रही, बावजूद इसके एक-दो स्कूल ऐसे भी रहे जहां पठन-पाठन का कार्य सुचारु रहा।