इसलिए याद की जाएगी ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’, ये हैं खास बातें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की सबसे ऊंची 182 मीटर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का आज उनकी जयंती पर लोकार्पण किया। खास बात यह हैं की गुजरात विधानसभा में सीटों की संख्या भी 182 ही हैं| इस प्रतिमा की अनेक खासियत है।

यह है खास बातें
– इस प्रतिमा का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। देश-विदेश में अपनी शिल्प कला से पहचाने जाने वाले राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। राम वी. सुतार बांबे आर्ट सोसायटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट समेत अनेक पुरस्कारों से भी नवाजे गए हैं।
– स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फुट यानी 182 मीटर है। इसके पैर की ऊंचाई 80 फुट , हाथ की ऊंचाई 70 फुट , कंधे की ऊंचाई 140 फुट और चेहरे की ऊंचाई 70 फुट >- चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची प्रतिमा होने का रिकॉर्ड था। मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ने अब चीन में स्थापित इस प्रतिमा को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया है।
– प्रतिमा 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी झेलने की ताकत रखती हैं तो वही इसे इस तकनीक से बनाया गया है कि 6.5 की तीव्रता के भूकंप का भी इस पर कोई असर नहीं होगा।
– स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसकी लंबाई 182 मीटर ऊंची है, वहीं दूसरी प्रतिमाओं की बात करें तो वो इस प्रकार है।
चीन-दूसरे नंबर पर स्प्रिंग टेंपल बुद्धा (153 मीटर)
जापान-तीसरे नंबर यूशिकु दाईबुत्शु ( 120 मीटर)
अमेरिका – स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी(93 मीटर)
रूस- द मदरलैंड कॉल्स (85 मीटर)
– प्रतिमा बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने दावा किया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। जबकि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की प्रतिमा के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा। कंपनी के मुताबिक यह प्रतिमा न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है।
– सरदार पटेल की इस प्रतिमा बनाने वाली कंपनी के मुताबिक, कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसम्बर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया।
– इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्तूबर, 2013 को पटेल की 138 वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी, उस समय पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इसके लिए बीजेपी ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था।

खर्च
पटेल की मुख्य प्रतिमा बनाने में 1,347 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किए गए। वहीं 657 करोड़ रुपये निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अगले 15 साल तक ढांचे के रखरखाव पर खर्च किए किए जाएंगे। पुल के निर्माण पर । 83 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

इन धातुओं से हुआ प्रतिमा का निर्माण
पटेल की इस प्रतिमा में चार धातुओं का उपयोग किया गया है। इसमें सबसे जादा तांबा का प्रयोग हुआ है, जिससे इस प्रतिमा में जंग नही लगेगा। स्टैच्यू में लगभग 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है। इसके अलावा 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है। ये प्रतिमा 22500 मिलियन टन सीमेंट से बनी है।