‘नशा, पैसा, ताकत, डर के नाम पर चल रही छात्र राजनीति’

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    पैसे और ताकत के दम पर चुनाव जीतने की जद्दोजहद, शराब की बोतलें लेकर सड़कों पर हुड़दंग, आपस में मारपीट, व्यापारियों से उगाही और प्राचार्य के साथ हाथापाई पिछले कुछ सालों में छात्र राजनीति की यही तस्वीर रही है। दून के कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव की तस्वीर बिलकुल साफ है। ये चुनाव किसी भी एंगल से एमपी और एमएलए के चुनाव से कम नही रहा है। यहां भी सभी चुनावों पर गौर करें तो छात्र राजनीति न सिर्फ लक्ष्य विहीन, दिशाहीन और खराब दशा से गुजर रही है बल्कि नियमों से भी यहां किसी को सरोकार नहीं। 
    कॉलेज के बाहर चुनाव में फंडिंग के लिए जबरन वसूली, सडक़ों पर हुड़दंग, पटाखे और सीटियों के शोर के बीच डरा सहमा शहर। इन दिनों देहरादून के कुछ ऐसे ही हालात हैं। हर ओर पोस्टरों, बैनरों और रैलियों का आलम है। अकेले डीएवी पर गौर करें तो यहां के चुनाव विधान सभा या लोक सभा से कम नपजर नहीं आते हैं। छात्र संघ चुनाव को लेकी यहां अभी नामांकन भी शुरू नहीं हुए हैं और प्रत्याशियों ने अपनी रैलियों से जोर आजमाइश शुरू कर दी है। सभी संगठन अपना शक्ति प्रदर्शन करने में लगे हैं। इसके लिए फिर चाहे लिंगदोह की धज्जियां उड़े तो क्या फर्क पड़ता है।

    पोस्टरों में नियम बेमायने
    कॉलेज के बाहर पोस्टरों और बैनरों दीवारें पटी पड़ी है। जबकि लिंगदोह की सिफारिशों की मानें तो चुनाव प्रचार सामग्री में पोस्टर, बैनर, फ्लेक्स और पंपलेट के लिए कोई स्थान ही नहीं। केवल हस्तनिर्मित पोस्टरों को ही वैध माना गया है, लेकिन इस नियम को यहां पालन करने वाला कोई नहीं। इतना ही नहीं चुनाव में नियमों की बात करें तो अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव के दौरान वाहनों का उपयोग वर्जित है, लेकिन यहां यह नियम भी बेमायने है। कॉलेजों में गाड़ियां और बाइकों के लाव लश्कर का जमकर प्रयोग किया जा रहा है।

    आपराधिक इतिहास में भी पीछे नहीं
    कॉलेज से बाहर निकलकर पुलिस डायरी पर नजर डालें तो कॉलेजों के छात्र नेताओं का आपराधिक इतिहास भी काफी अच्छा है। मारपीट, हत्या का प्रयास, आर्म्स एक्ट के दर्जनों मामले छात्रों पर दर्ज हैं। पिछले आठ सालों की बात करें डीएवी के एबीवीपी के तकरीबन दो दर्जन छात्रों पर तीन दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं। वहीं, एनएसयूआई के 14 छात्रों के खिलाफ 20 मामले दर्ज हैं। इसके अलावा, ‘आर्यन ग्रुप’ के छह छात्र नेताओं पर 19 मामले दर्ज हुए। हालांकि बीते कुछ वक्त में इन मामलों में कुछ में समझौते और कुछ में पुलिस ने एफआर भी लगाई है, लेकिन इसके बाद भी आपराधिक इतिहास हर साल बढ़ता जाता है।

    उगाही करते छात्र गिरफ्तार, जेल
    चुनाव में उगाही करना, धमकाना और अवैध वसूली आमबात हो गई। कई मामलों में लोग छात्रों से किसी प्रकार की रंजिश न करने के डर से मामले को दबा देते हैं। लेकिन बहते रोज एक बार फिर अवैध रुप से चुनाव में फंडिंग करने के लिए उगाही करने का मामला सामने आया। राजपुर रोड स्थिति रेस्टोरेंट चालक आयुष टंडन ने थाना डालनवाला में चुनाव के नाम पर पैसों की मांग करने और मना करने पर जान से मारने की धमकी दिए जाने की तहरीर दी है।
    उन्होंने बताया कि 19 अगस्त की रात डीबीएस पीजी कॉलेज के छात्र नेता व पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सौरभ गुलेरिया, देवेंद्र नेगी, विपुल गौड़, पंकज कुमार द्वारा कॉलेज में छात्र संघ चुनाव के नाम पर पैसों की मांग की। पैसे देने से मना करने पर युवकों द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई। मामले में पुलिस ने लिखित तहरीर के आधार पर थाना डालनवाला में मु.अ.स. 202/17 धारा 384/506 बनाम देवेंद्र नेगी व अन्य पंजीकृत करते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

    छात्र नेताओं की सत्ता में पकड़
    एबीवीपी हो या फिर एनएसयूआई या फिर कोई अन्य संगठन ऐसे ही छात्रों को चुनाव में उतारती है, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज नहीं होते हैं। लेकिन इनके पीछे पुराने धुरंधर और और बड़े मास्टरमाइंड छात्र नेता लगातार काम करते हैं। चुनाव के लिए यह मास्टरमाइंड अपनी पकड़ सत्ता के गलियारों तक रखते हैं। इसका उदाहरण बीते दिनों एमकेपी पीजी कॉलेज में छात्र संघ चुनाव के दौरान हुए हंगामे में बड़े दलों के नेताओं का दखल देखा जाना है।

    क्या कहती हैं लिंगदोह की सिफारिशें
    – चुनाव प्रचार में अधिकतम एक प्रत्याशी पांच हजार तक खर्चा कर सकता है।
    – व्यय व दूसरे नियमों का उल्लंघन करने पर चुनाव निरस्त।
    – प्रिंटेड पोस्टर, पंपलेट या अन्य प्रचार सामग्री की अनुमति नहीं।
    – प्रचार के लिए वाहन, लाउड स्पीकर व जानवरों का प्रयोग प्रतिबंधित।
    – प्रत्याशी बनने के लिए अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए अधिकतम आयु सीमा 22 साल।
    – पोस्ट ग्रेएजुएट के लिए 28 साल अधिकतम आयु सीमा निर्धारित है।
    – प्रत्याशी के लिए कक्षाओं में कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य।
    – आपराधिक रिकॉर्ड, मुकदमा, सजा या अनुशासनात्मक कार्रवाई वाला छात्र प्रत्याशी योग्य नहीं।
    – प्रत्याशी विश्वविद्यालय या कॉलेज का नियमित छात्र हो, पत्राचार कोर्स का छात्र अयोग्य।
    – चुनाव प्रक्रिया, नामांकन व चुनाव परिणाम अधिकतम दस दिनों तक पूरे कर लिए जाएं।

    बयान
    निवेदिता कुमार कुकरेती, वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक, देहरादून ने बताया कि चुनाव में नियमों का पालन हो इसके लिए संयुक्त रुप से बैठक कर छात्रों को दिशा निर्देश दे दिए गए हैं। बावजूद इसके अगर कोई नियमों से खिलवाड़ होता पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

    डा. डीके त्यागी, मुख्य चुनाव अधिकारी, डीएवी पीजी ने बताया कि कई बार रैली बाहर से आती है तो वर्जित सामग्री के साथ कुछ तत्व परिसर में प्रवेश कर जाते हैं। इस पर नियंत्रण के लिए कमेटियां गठित कर दी गई हैं। नियमों के तहत चुनाव आयोजित होगा।