सील बंद किताबों की जांच का पता नहीं छात्र हो रहे परेशान

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File Photo: Crime

काशीपुर- किताबों के लाखों के घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में तो किताबें जांच के नाम पर सीज। एेसे में कालेज के छात्रों को लाईब्रेरी मेें ना तो किताबें ही मिली और ना ही घोटाले के आरोपियों पर कार्यवाही ही हुई, लहाजा नुकसान छात्रो का हो रहा है, जी हां हम बात कर रहे हैं,  काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की जहां लाखों रुपये की किताब खरीद घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में पड़ गई है।

एक साल पूर्व काशन मनी फंड से 14 लाख की किताबें क्रय की गईं। जबकि नियमानुसार काशन मनी को महाविद्यालय प्रशासन खर्च नहीं कर सकता है। शिकायत पर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। जांच में करीब 11 सौ किताबों के मूल्य रेट पर स्याही लगाकर अधिक प्रिंट रेट के स्टीकर चस्पा कर दिए गए थे। कुछ किताबें ऐसी थीं, जो कोर्स से संबंधित नहीं थीं। विभागाध्यक्षों की बगैर डिमांग की किताबें मंगाई गई थीं, जबकि विभागाध्यक्षों से किताबों की सूची मांगी जानी चाहिए। उच्च शिक्षा के अपर सचिव भी महाविद्यालय में जांच की तो शिकायत सही पाई गई। इस पर दिसंबर के अंतिम सप्ताह में शासन के आदेश पर तत्कालीन प्राचार्य डॉ. एएस सिराड़ी को निलंबित कर दिया गया था। क्रय की गई किताबें सील कर दी गई। साथ ही जांच कमेटी बनाई गई।

महाविद्यालय की स्मारिका भी बिना टेंडर के क्रय करने का ऑर्डर दे दिया गया था। हैरानी यह है अभी तक किताब खरीद घोटाले की जांच पूरी नहीं हो सकी। किताबों की कमी से सभी छात्रों को किताबें पढ़ने को नहीं मिल पा रही है। इससे विद्यार्थी खासकर गरीब परिवार के छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गरीब परिवार के छात्र लाइब्रेरी में ही पढ़ाई कर लेते थे। फिर भी शासन प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है ऐसे में सील बंद काफी किताबें कमरे में धूल फांक रही है। किताबें न मिलने से इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। महाविद्यालय के छात्रों  से काशन मनी ली जाती है। जिससे महाविद्यालय में नुकसान करने पर उसी से रुपये काटे जाते हैं। । महाविद्यालय में इसे लेकर चर्चा है कि सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करती है, मगर किताब खरीद घोटाला एक साल से अधिक समय हो गया, मगर अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी।