उत्तराखंड राज्य बाकि सभी राज्यों से हरे भरे राज्य की तरह जाना जाता है, लेकिन प्रदुषण के रूप में ‘जहर’ उगलते शहरों के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से राहत भरी खबर है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने सौर ऊर्जा से चलने वाली ईको-फ्रेंडली साइकिल तैयार किया है। ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक दौर में यह साइकिल मील का पत्थर साबित हो सकती है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ साइकिल माउंटेन बाइकिंग करने के शौकीन लोगों के लिए भी फायदेमंद होगी। विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के यांत्रिक अभियंत्रण के छात्र-छात्राओं के प्रयोग ने इसे साकार रूप दिया है। ईको फ्रेंडली यह साइकिल पेट्रोल से चलने वाली बाइक के समान ही सड़कों पर दौड़ने में सक्षम है, लेकिन यह साइकिल सौर ऊर्जा से चलेगी।
रंग लाई चार विद्यार्थियों की मेहनतः यांत्रिक अभियंत्रण के प्रो. डॉ. अनादि मिश्रा के निर्देशन में विकास मौर्य, शिवानी मोंग्स, आरती बिष्ट व सोमेश लोहानी ने सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल तैयार की है। इसके लिए उन्हें विभागाध्यक्ष डॉ. सीपी गोथ और अन्य प्राध्यापकों का भी विशेष सहयोग मिला। इसे तैयार करने में करीब एक महीने का समय लगा।
17 हजार रुपये है साइकिल की कीमतः छात्र विकास ने बताया कि इसे तैयार करने में 17 हजार रुपये की लागत आई है। व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन होने पर इसकी कीमत और कम हो जाएगी। इसे और मोडीफाई करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। फिर इसे पेटेंट कराएंगे।
इन उपकरणों का किया है प्रयोगः ई-साइकिल बनाने में 12 वोल्ट की चार बैटरी, एक 350 वाट का ब्रुश मोटर, गति नियंत्रण के लिए स्कूटी के समान एक्सीलरेटर एवं बैटरी चार्ज करने के लिए 20 वाट के दो सोलर पैनल लगाए गए हैं।
रफ्तार 20 से 30 किमी प्रति घंटाः पर्यावरण के लिए बेहद मुफीद मानी जा रही साइकिल सड़कों पर 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। विकास ने बताया कि 15 से 20 डिग्री की चढ़ाई में भी चलने में यह सक्षम है।
विकास व उनके साथियों ने कहा कि यह साइकिल पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता को कम करेगी। इसे चलाने से किसी प्रकार का हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता है। इसके चलते वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। जिस तरह ई-रिक्शा चलने लगे हैं, यह बेहद अच्छा है। अगर इसे भी सौर ऊर्जा से जोड़ दिया जाए, तो बिजली की भी बचत हो सकेगी।